भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज (10 मई, 2024) नई दिल्ली में नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (एनबीईएमएस) के 22वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया और वहां संबोधित किया।
चिकित्सा आपात स्थिति में महत्वपूर्ण समय ( गोल्डन आवर ) के महत्व को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इस अवधि के दौरान उपचार मिलने पर रोगियों का जीवन बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ डॉक्टरों को आपातकालीन रोगियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और उन्हें कभी भी आपातकालीन रोगी को उपचार के लिए कहीं और जाने के लिए नहीं कहना चाहिए।
इस कहावत का संदर्भ देते हुए कि- ‘न्याय में देरी न्याय से वंचित रखना होता है’, राष्ट्रपति मुर्मू ने जोर देकर कहा कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में, समय और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उपचार में देरी से जीवन से वंचित होना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी हम दुखद समाचार सुनते हैं कि यदि समय पर इलाज मिल जाता तो व्यक्ति की जान बचाई जा सकती थी। ऐसे में अगर जान बच भी जाए तो कई स्थितियों में उपचार में देरी से स्वास्थ्य खराब हो जाता है। ऐसे उदाहरण अक्सर पक्षाघात (लकवा) के रोगियों में देखने को मिलते हैं। समय पर उपचार न मिलने के कारण मरीज अपने अंगों को हिलाने-डुलाने की क्षमता खो देते हैं और दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं।
राष्ट्रपति ने पिछले लगभग चार दशकों में चिकित्सा शिक्षा में उनके योगदान के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (एनबीईएमएस) के भूतपूर्व और वर्तमान सदस्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि एनबीईएमएस के प्रयासों से देश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।