वैज्ञानिकों ने एक ऐसे सिंथेटिक सामग्री डिजाइन को विकसित किया है जो कि उस तापमान को नियंत्रित कर सकता है जिसमें कोई सामग्री इलेक्ट्रानिक ‘ट्रैफिक जाम’ से आगे निकल सकती है और इलेक्ट्रिकल इंसुलेटर से एक कंडक्टर में परिवर्तित हो सकती है, यह प्रक्रिया एक ऐसे इलेक्ट्रानिक स्विच के लिये भूमिका तैयार करती है जो कि एक ट्रासिस्टर के मुकाबले अधिक सक्षम है।
आमतौर पर ज्यादातर जो सामग्रियां पाई जातीं हैं वह या तो इलेक्ट्रिकल कंडक्टर (जैसे कि तांबा अथवा एल्यूमीनियम) या फिर इलेक्ट्रिकल इंसूलेटर (जैसे कि प्लास्टिक और कागज) होती हैं। इससे संबंद्ध इलेक्ट्रान सामग्री, सामग्रियों का ऐसा वर्ग है जो कि एक इंसूलेटर से धातु में इलेक्ट्रानिक बदलाव के साथ प्रवाह होती है। बहरहाल, इस तरह का प्रवाह तापमान का काम करता है जिससे कि उपकरणों जैसे कि इलेक्ट्रानिक स्विच जो कि आमतौर पर स्थिर तापमान (सामान्य तौर पर कमरे के तापमान पर) पर काम करते हैं, में वह कम उपयोगी बन जाते हैं। इसके अलावा इस प्रकार के बदलाव जो कि ऐसे तापमान पर होते हैं वह कमरों के तापमान पर काम करने में प्रासांगिक नहीं हो सकते हैं।
आईआईएससी के वैज्ञानिकों, ने जापान, डेनमार्क और अमेरिका के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एक ऐसी सिंथेटिक सामग्री डिजाइन का प्रस्ताव किया जो कि वह उस तापमान को नियंत्रित कर सकें जिसमें परिवर्तन अथवा पारगमन होता है। प्रोफेसर नागा फनी और आईआईएससी बैंगलूरू के सोलिड स्टेट एण्ड स्ट्रक्चरल कैमिस्ट्री यूनिट के उनके साथी सहित वैज्ञानिकों की टीम ने एक ऐसे तीन परतों के ढांचे का प्रस्ताव और प्रदर्शन किया जिसमें कि एक ‘सक्रिय’ चैनल की परत जो कि धातु में इंसुलेटर ट्रोजिशन से गुजरती है। यह एक संग्रहित चार्ज परत है जो कि इलेक्ट्रान को सक्रिय परत में ‘ड्रिप’ कर सकती है और जिसमें पारगमन हुआ है उस तापमान को नियंत्रित कर सकती है, यह सक्रिय परत और संग्रहित (रिजरवायर) लेयर के बीच स्पेसर परत का नियमन करने वाला चार्ज है जो कि संग्रहण परत से सक्रिय परत में इलेक्ट्रान के प्रवाह (अथवा ड्रिप) का नियमन करता है।
इस कार्य की सफलता के लिये इन सामग्रियों की मोटी-नैनामीटर परमाणु स्वरूप वाली सहज परतें तैयार करना महत्वपूर्ण है। ऐसी पतली परतें स्पंदित लेजर जमाव तकनीक के जरिये तैयार की जाती हैं जो कि इन परतों के तैयार होने में परमाणु परतों के नियंत्रण की अनुमति देतीं हैं — एक तरह से यह परमाणु के साथ स्प्रे-पेटिंग करने जैसा है। शोधकर्ता ने परतों की गुणवत्ता को लेकर सफलता के लिये डीएसटी-एफआईएसटी कार्यक्रम से वित्तपोषित परमाणु बल वाले माइक्रोस्कोप (एएफएम) का इस्तेमाल किया। इसके रचनाकार ने सामग्री के सिंथेटिक स्टेक को विकसित करने के लिये सही स्थिति में पहुंचने (जैसे कि तापमान, दबाव, वृद्धि दर) के लिये विस्तृत एएफएम अध्ययन किया।