असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक पर्व विजयादशमी के मौके पर कोटा में एक ऐतिहासिक लेकिन अधूरे रावण दहन का नज़ारा देखने को मिला। 233 फीट ऊंचा का रावण का पुतला, जिसने लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने के बाद धू-धू कर जलना शुरू किया, लेकिन आधा अधजला ही रह गया। वहीं, कुंभकरण का चेहरा भी नहीं जल पाया, जबकि मेघनाद का पुतला सफलतापूर्वक पूरा जल गया।
इस ऐतिहासिक आयोजन में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने शिरकत की। सीएम भजनलाल शर्मा कार्यक्रम में उपस्थित रहे, जबकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मुख्य अतिथि के रूप में पारंपरिक विधि-विधान से रावण दहन का शुभारंभ किया।
🔥 कैसे हुआ दहन, जानिए पूरी घटनाक्रम
· रिकॉर्ड ऊंचाई वाला पुतला: कोटा के दशहरा मैदान में इस बार 233 फीट ऊंचे रावण के पुतले ने नया कीर्तिमान स्थापित किया, जिसे लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया।
· रिमोट से पहला दहन: इस बार पहली बार रिमोट के जरिए रावण के पुतले को 25 पॉइंट से ब्लास्ट करके जलाने का प्रयास किया गया।
· अधूरा रहा दहन: रावण का पुतला आधा जलकर ही रह गया। पुतले का चेहरा और छाती का हिस्सा पूरी तरह से नहीं जल सका, जिससे उमड़ी भीड़ में निराशा के भाव देखे गए।
· कुंभकरण का भी नहीं जला मुंह: 60 फीट ऊंचे कुंभकरण के पुतले का मुंह भी नहीं जल पाया, हालांकि मेघनाद का पुतला सफलतापूर्वक पूरा जल गया।
· दहन का क्रम: कोटा के पूर्व राजपरिवार के महाराव इज्यराज सिंह साईं सवारी के साथ पहुंचे। उन्होंने रावण की नाभि के कलश को फोड़ा, जिसके बाद पहले मेघनाद, फिर कुंभकरण और अंत में रावण का दहन हुआ।
🏛️ राष्ट्रीय स्तर के मेहमानों की उपस्थिति
इस ऐतिहासिक आयोजन में पहली बार कोई मुख्यमंत्री शामिल हुए। सीएम भजनलाल शर्मा ने कार्यक्रम में शिरकत की। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। दोनों नेता इस अवसर पर प्रदेशवासियों को विजयादशमी की बधाई और शुभकामनाएं देते नजर आए।
⏱️ दहन प्रक्रिया में लगा अधिक समय
रावण के पुतले को जलने में सामान्य से अधिक समय लगा। दहन की प्रक्रिया शुरू होते ही रावण के मुकुट से चिंगारियां निकलनी शुरू हुईं, इसके बाद एक-एक करके उसके सिर जलते रहे। फिर बाजू में आग लगी और इसके बाद पैरों और छाती से आग निकलना शुरू हुई। हालांकि, काफी देर तक प्रतीक्षा के बाद भी पुतला पूरी तरह नहीं जल सका।
📜 देशभर में दशहरे का महत्व और मुहूर्त
दशहरा का पर्व पूरे देश में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष 2 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाया गया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रावण दहन प्रदोष काल में किया जाता है, जो सूर्यास्त के बाद का समय होता है. इस बार देश के विभिन्न शहरों में रावण दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6:03 बजे से 7:10 बजे के बीच था.
🌧️ अन्य स्थानों में भी आई दिक्कतें
कोटा का मामला अकेला नहीं है जहां रावण दहन में समस्याएं आईं। संभल में भी तेज आंधी और मूसलाधार बारिश के कारण मेघनाद का पुतला गिर गया और रावण के पुतले का कागज भीगकर खराब हो गया. वहां पुतलों की मरम्मत के बाद ही दहन संभव हो सका।
कोटा का 132वां राष्ट्रीय दशहरा मेला एक ऐतिहासिक लेकिन अधूरी उपलब्धि के साथ संपन्न हुआ। एक ओर जहां 233 फीट के रावण पुतले ने विश्व रिकॉर्ड बनाया, वहीं दहन प्रक्रिया में आई तकनीकी समस्या के कारण यह आयोजन पूरी तरह सफल नहीं रहा। फिर भी, इस ऐतिहासिक आयोजन में राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की उपस्थिति और उमड़ी भीड़ ने कोटा के दशहरा मेले के महत्व को और बढ़ा दिया। अगले साल और बेहतर तकनीकी इंतजामों के साथ इस परंपरा को निभाने की उम्मीें की जा रही है।

Author: ainewsworld



