
वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजन पेरोक्साइड (H2O2) के उत्पादन के लिए एक नया, पर्यावरण-अनुकूल और ऊर्जा-कुशल तरीका खोज निकाला है। यह तकनीक सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके हाइड्रोजन पेरोक्साइड का उत्पादन करती है, जो उद्योगों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। हाइड्रोजन पेरोक्साइड एक महत्वपूर्ण रसायन है, जिसका उपयोग कीटाणुशोधन, कागज विरंजन, रासायनिक संश्लेषण और ईंधन कोशिकाओं में किया जाता है।
वर्तमान में, हाइड्रोजन पेरोक्साइड का उत्पादन एंथ्राक्विनोन ऑक्सीकरण प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है, जो ऊर्जा-गहन, महंगी और पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इस प्रक्रिया में कई खतरनाक रसायन उप-उत्पाद के रूप में निकलते हैं। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक विकसित की है, जो अक्षय संसाधनों का उपयोग करके हाइड्रोजन पेरोक्साइड का उत्पादन करती है और पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डालती है।
सूर्य के प्रकाश का उपयोग कर नई तकनीक
इस नई तकनीक में, शोधकर्ताओं ने सहसंयोजक कार्बनिक ढांचे (COFs) का उपयोग किया है। ये COFs विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए पॉलिमर हैं, जो प्रकाश को अवशोषित करने और उत्प्रेरक के रूप में काम करने की क्षमता रखते हैं। कोलकाता स्थित एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के शोधकर्ताओं ने हाइड्राज़ोन लिंकेज वाले COFs का निर्माण किया है, जो पानी और ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करके हाइड्रोजन पेरोक्साइड का उत्पादन करते हैं।
इस प्रक्रिया में, सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके पानी और ऑक्सीजन के बीच प्रतिक्रिया को बढ़ावा दिया जाता है। यह प्रक्रिया ऊर्जा-कुशल है और इसमें किसी बाहरी रसायन की आवश्यकता नहीं होती। शोधकर्ताओं ने पाया कि इस तकनीक से प्रति घंटे 550 माइक्रोमोल H2O2 का उत्पादन किया जा सकता है, जो अन्य कार्बनिक उत्प्रेरकों की तुलना में काफी बेहतर है।
उद्योग के लिए संभावनाएं
इस नई तकनीक का उपयोग करके, शोधकर्ताओं ने एक निरंतर प्रवाह रिएक्टर विकसित किया है, जो जल और बेंजाइल अल्कोहल के मिश्रण का उपयोग करके H2O2 का उत्पादन करता है। यह रिएक्टर प्रति घंटे 21,641 माइक्रोमोल H2O2 उत्पन्न कर सकता है, जो उद्योगों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इस तकनीक के माध्यम से, प्रयोगशाला से उद्योग तक प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की संभावना बढ़ गई है।
पर्यावरण के लिए लाभ
यह नई तकनीक न केवल ऊर्जा की बचत करती है, बल्कि पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचाती है। सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके हाइड्रोजन पेरोक्साइड का उत्पादन करना एक स्वच्छ और टिकाऊ तरीका है, जो भविष्य में उद्योगों के लिए एक बड़ा बदलाव ला सकता है। इसके अलावा, यह तकनीक अस्पतालों और अन्य संस्थानों में कीटाणुशोधन के लिए भी उपयोगी साबित हो सकती है।
निष्कर्ष
वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह नई तकनीक हाइड्रोजन पेरोक्साइड के उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। यह न केवल ऊर्जा और लागत की बचत करती है, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखती है। भविष्य में, इस तकनीक का उपयोग करके उद्योगों में हाइड्रोजन पेरोक्साइड का उत्पादन अधिक कुशल और टिकाऊ हो सकता है।

Author: ainewsworld



