राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु देश की अपनी पहली राजकीय यात्रा पर मॉरीशस पहुँचीं। मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद कुमार जुगनॉथ ने सर शिवसागर रामगुलाम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति के आगमन पर अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों और मॉरीशस के वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों सहित पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका स्वागत किया।
दिन की अपनी पहली बैठक में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने स्टेट हाउस, ले रेडुइट में मॉरीशस के राष्ट्रपति श्री पृथ्वीराज सिंह रूपन से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने अद्वितीय और बहुआयामी भारत-मॉरीशस संबंधों को और सुदृढ़ करने पर चर्चा की। राष्ट्रपति मुर्मु ने आयुर्वेदिक उद्यान का भी दौरा किया, जिसे पिछले वर्ष स्टेट हाउस के मैदान में स्थापित किया गया था।
बाद में, राष्ट्रपति ने पैम्पलेमोसेस के सर शिवसागर रामगुलाम बॉटनिकल गार्डन, का दौरा किया और सर शिवसागर रामगुलाम और सर अनिरुद्ध जुगनॉथ की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की।
शाम को, प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जुगनॉथ ने राष्ट्रपति का स्वागत किया और उनके सम्मान में भोज का आयोजन किया।
अपने भोज भाषण में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में 56 वर्षों की अवधि में, मॉरीशस अग्रणी लोकतंत्रों में से एक, बहुलवाद का प्रतीक, एक समृद्ध देश, एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र, एक संपन्न पर्यटन स्थल के रूप में उभर कर आया है। प्रमुखत: यह दुनिया के सबसे सुरक्षित और शांतिपूर्ण देशों में से एक है। उन्होंने दूरदर्शी मॉरीशस के राष्ट्र-निर्माताओं की सराहना की जिन्होंने अर्थव्यवस्था को “मॉरीशेन मिरेकल” बना दिया जो न केवल अफ्रीका बल्कि पूरे विश्व को प्रेरित करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीयों को मॉरीशस में अपने भाइयों और बहनों की सफलता पर गर्व महसूस होता है। उन्होंने कहा कि इन वर्षों में हमारे द्विपक्षीय संबंधों में प्रगतिशीलता इसलिए संभव हो पाई है क्योंकि हमारी दोनों सरकारें एक-दूसरे को प्राथमिकता देती हैं और इस रिश्ते में निवेश करती हैं।
उन्होंने मॉरीशस के लिए एक नए विशेष प्रावधान की भी घोषणा की जिसके अंतर्गत भारतीय मूल की 7वीं पीढ़ी के मॉरीशसवासी अब भारत की विदेशी नागरिकता के लिए पात्र होंगे – जिससे कई युवा मॉरीशसवासी अपने पूर्वजों की भूमि के साथ फिर से जुड़ने में सक्षम होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि जैसे-जैसे भारत एक विकसित देश बनने की दिशा में अग्रसर होगा, हम मॉरीशस जैसे नजदीकी साझेदारों के साथ जुड़ते रहेंगे। भारत “वसुधैव कुटुंबकम” और “सर्वजन सुखिना भवन्तु” के अपने मूल मूल्यों का पालन करते हुए वैश्विक शांति और समृद्धि का स्रोत बना रहेगा।