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राजस्थान में शिक्षा क्रांति! अब बोर्ड परीक्षा एक नहीं, साल में दो बार; मिलेंगे ‘बेस्ट ऑफ टू’ के फायदे

राजस्थान के लाखों छात्र-छात्राओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। अगले शैक्षणिक सत्र 2026-27 से राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) की परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी। यह ऐतिहासिक फैसला छात्रों पर पड़ने वाले परीक्षा के दबाव को कम करने और उन्हें अपना बेहतर प्रदर्शन दिखाने का दूसरा मौका देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

राजस्थान के शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री श्री मदन दिलावर ने आज कोटा में आयोजित एक जनसमारोह में इस महत्वपूर्ण नीति की घोषणा करते हुए इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की सिफारिशों को लागू करने की दिशा में एक बड़ी छलांग बताया।

क्या है नई व्यवस्था? जानिए पूरी डिटेल्स

नई व्यवस्था छात्रों के लिए अवसरों से भरी हुई है। आइए समझते हैं इसे बिंदुवार:

1. दो परीक्षाएं, एक साल: अब हर साल फरवरी-मार्च में मुख्य परीक्षा और मई-जून में ‘द्वितीय अवसर परीक्षा’ आयोजित होगी।
2. पहली परीक्षा है अनिवार्य: सभी विद्यार्थियों के लिए पहली (फरवरी-मार्च में होने वाली) बोर्ड परीक्षा में बैठना अनिवार्य होगा।
3. किसे मिलेगा दूसरा मौका?
· उत्तीर्ण छात्र: जो पहली ही बार में पास हो जाते हैं, वे अधिकतम तीन विषयों में दूसरी परीक्षा देकर अपने अंकों को सुधार सकते हैं।
· पूरक छात्र: जिनके एक या दो विषयों में अंक कम रह जाते हैं, उन्हें भी अधिकतम तीन विषयों (जिनमें पूरक विषय शामिल होंगे) में दूसरा मौका मिलेगा।
· अनुत्तीर्ण छात्र: जो पहली परीक्षा में फेल हो जाते हैं, वे दूसरी परीक्षा में उन सभी विषयों में फिर से परीक्षा दे सकेंगे।
4. सबसे बड़ा फायदा – ‘बेस्ट ऑफ टू’: यह इस पूरी व्यवस्था की सबसे रोमांचकारी बात है। दोनों परीक्षाओं में से छात्रों के सर्वश्रेष्ठ अंक ही उनके अंतिम परिणाम में जोड़े जाएंगे। यदि किसी विषय में पहली बार के मुकाबले दूसरी बार अंक कम भी आते हैं, तो पहली बार वाले अंक ही मान्य होंगे।

शिक्षा मंत्री ने क्या कहा?

शिक्षा मंत्री श्री मदन दिलावर ने कहा, “यह फैसला छात्र-केंद्रित शिक्षा की ओर एक बड़ा कदम है। हमारा उद्देश्य सिर्फ परीक्षा लेना नहीं, बल्कि छात्रों को उनकी पूर्ण क्षमता दिखाने का अवसर देना है। इससे ‘एक ही मौका’ के डर से मुक्ति मिलेगी और छात्र अधिक आत्मविश्वास के साथ परीक्षा देंगे।”

छात्रों और अभिभावकों को क्या मिलेगा लाभ?

· परीक्षा का दबाव होगा कम: एक बार में ही सब कुछ तय हो जाने का तनाव अब नहीं रहेगा।
· गलतियों को सुधारने का मौका: पहली परीक्षा में हुई कमियों को दूसरी कोशिश में सुधारा जा सकता है।
· बेहतर परिणाम की संभावना: ‘बेस्ट ऑफ टू’ की नीति से समग्र रूप से छात्रों के परिणाम बेहतर होंगे।
· आत्मविश्वास में वृद्धि: दूसरे मौके का विकल्प मानसिक रूप से छात्रों को मजबूती प्रदान करेगा।

नोट: यह व्यवस्था अगले शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू होगी। मुख्य परीक्षा में बिना किसी वैध कारण (मेडिकल इमरजेंसी आदि) अनुपस्थित रहने वाले छात्र दूसरी परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे।

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Author: ainewsworld

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