
आईआईटी कानपुर के 66वें स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार को संस्थान के सर्वोच्च सम्मान ‘विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार’ (डिस्टिंग्विश्ड अलुमनाई अवार्ड) से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार संस्थान के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है, जो 1989 से राष्ट्र निर्माण में उल्लेखनीय योगदान देने वाले पूर्व छात्रों को दिया जाता है।
पुरस्कार समारोह का आयोजन
कानपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी कानपुर) परिसर में आयोजित एक भव्य समारोह में श्री ज्ञानेश कुमार को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया गया। विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार संस्थान द्वारा अपने पूर्व छात्रों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है, जो उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों, संस्थान के प्रति सेवाभाव और समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में दिए गए उनके अनुकरणीय योगदान को स्वीकार करता है।
श्री ज्ञानेश कुमार का शैक्षणिक सफर
श्री ज्ञानेश कुमार ने वर्ष 1985 में आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री प्राप्त की थी। बी.टेक एक चार वर्षीय स्नातक डिग्री कोर्स है, जो भारत में विज्ञान के छात्रों के बीच सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले कोर्सों में से एक है . आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाले छात्रों के लिए कैम्पस प्लेसमेंट के साथ-साथ भविष्य में राष्ट्र सेवा जैसे उच्चत्तर दायित्वों का मार्ग भी प्रशस्त होता है .
पुरस्कार का महत्व और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार की स्थापना 1989 में की गई थी। संस्थान हर साल अपने पूर्व छात्रों के साथ मिलकर इस पुरस्कार के जरिए शैक्षणिक उत्कृष्टता, उद्यमशीलता उत्कृष्टता, व्यावसायिक उत्कृष्टता और राष्ट्र सेवा जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करता है। पुरस्कार के पिछले प्राप्तकर्ताओं की सूची में इन विभिन्न क्षेत्रों के अग्रणी और प्रतिष्ठित नाम शामिल हैं।
इंजीनियरिंग शिक्षा का व्यापक दायरा
भारत में बी.टेक जैसी इंजीनियरिंग डिग्रियाँ छात्रों के लिए करियर के अनेक द्वार खोलती हैं। स्नातक होने के बाद छात्रों के सामने उच्च शिक्षा (जैसे एम.टेक या एमबीए), रोजगार, अनुसंधान, या अपना खुद का उद्यम शुरू करने जैसे कई विकल्प मौजूद होते हैं . आईआईटी जैसे संस्थानों से पढ़े इंजीनियर देश-विदेश की प्रतिष्ठित कंपनियों जैसे गूगल, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न में कार्यरत हैं, और कई सिविल सेवाओं एवं राष्ट्रीय संस्थानों में महत्वपूर्ण पदों पर रहकर राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं .
पुरस्कृत होने वालों में छात्रवृत्ति और उपलब्धियों का चलन
देश के प्रौद्योगिकी संस्थानों में मेधावी और कठिन परिश्रम करने वाले छात्रों को समय-समय पर छात्रवृत्तियों और पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जाता है। हाल ही में, एमएनएनआईटी, प्रयागराज के पुराछात्र संगठन ने 14 बी.टेक छात्रों को 7.08 लाख रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की थी . इसी प्रकार, आईआईटी बीएचयू की एक छात्रा अनन्या सिंह ने केमिकल इंजीनियरिंग में अपने बी.टेक के दौरान 17 मेडल और पुरस्कार जीतकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया . यह उदाहरण दर्शाते हैं कि इंजीनियरिंग की शिक्षा का लक्ष्य केवल डिग्री देना नहीं, बल्कि समग्र विकास और उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करना है।
मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार का यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों को स्वीकार है, बल्कि आईआईटी कानपुर की शिक्षा प्रणाली की सफलता का भी एक प्रमाण है। यह संदेश देता है कि संस्थानों से प्राप्त तकनीकी शिक्षा और कौशल का उपयोग करके छात्र न केवल व्यावसायिक सफलता हासिल कर सकते हैं, बल्कि लोकतंत्र जैसे मूल्यों की रक्षा करने वाले संवैधानिक पदों तक भी पहुँच सकते हैं और राष्ट्र सेवा में अपना योगदान दे सकते हैं।
Author: ainewsworld
