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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पत्रकारों पर हमले के मामले में केरल, मणिपुर और त्रिपुरा को नोटिस जारी किया

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पत्रकारों पर हमले के मामले में केरल, मणिपुर और त्रिपुरा को नोटिस जारी किया

आयोग ने घटनाओं की जांच की वर्तमान स्थिति और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपायों पर दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है।

नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने केरल, मणिपुर और त्रिपुरा में पत्रकारों पर हुए हमलों को गंभीरता से लेते हुए इन राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को नोटिस जारी किया है। आयोग ने इन घटनाओं में जांच की प्रगति और भविष्य में ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए किए गए उपायों पर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए आयोग ने कहा कि पत्रकारों पर हमला मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। यह घटनाएं न केवल पीड़ित पत्रकारों के अधिकारों का हनन करती हैं, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर एक गंभीर प्रहार भी हैं।

घटनाओं का संक्षिप्त विवरण

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जिन तीन मामलों पर कार्रवाई की है, उनमें शामिल हैं:

· केरल : एक पत्रकार पर हमला किया गया, जिसमें उन्हें गंभीर चोटें आईं और उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। स्थानीय पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
· मणिपुर : यहाँ भी एक मीडिया कर्मी को निशाना बनाया गया। हमले की प्रकृति इतनी गंभीर थी कि पीड़ित को चिकित्सीय देखभाल हेतु अस्पताल जाना पड़ा। इस मामले में भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है।
· त्रिपुरा : राज्य में एक पत्रकार के साथ हिंसक घटना घटी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इस मामले में भी पुलिस ने मामला दर्ज किया है।

आयोग की मांगें

आयोग ने संबंधित राज्यों के पुलिस महानिदेशकों से निम्नलिखित जानकारियाँ साझा करने का अनुरोध किया है:

· इन मामलों की जांच की वर्तमान स्थिति क्या है।
· भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कौन-से ठोस एवं प्रभावी कदम उठाए गए हैं या उठाए जाने की योजना है।

आयोग ने राज्यों के मुख्य सचिवों से भी इन मामलों पर अपनी रिपोर्ट देने को कहा है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि घटनाओं की गंभीरता को समग्र रूप से समझा जा सके और एक समन्वित कार्ययोजना बनाई जा सके।

पुलिस महानिदेशक की भूमिका और जिम्मेदारी

किसी भी राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) का पद वहाँ के पुलिस बल का सर्वोच्च पद होता है। पुलिस महानिदेशक राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति, अपराधों पर नियंत्रण और जनसुरक्षा के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होते हैं。 उनके कार्यों में शामिल हैं:

· अपराधिक गतिविधियों की रोकथाम करना।
· लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा सुनिश्चित करना।
· महत्वपूर्ण मामलों की अदालत में प्रभावी पैरवी करवाना।
· खुफिया तंत्र को मजबूत करना ताकि संभावित अपराधों की जानकारी पहले से मिल सके।
· सार्वजनिक स्थानों पर निगरानी बढ़ाना, विशेष रूप से महिलाओं के विरुद्ध अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए।

क्या होगा आगे?

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा दी गई दो-सप्ताह की अवधि राज्य सरकारों और पुलिस महकमे के लिए एक परीक्षा के समान है। इस अवधि में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट यह तय करेगी कि क्या अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को समझा है और क्या भविष्य में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक सुरक्षित माहौल बनाने हेतु गंभीर प्रयास किए जाएंगे।

इस मामले की निगरानी अब न केवल आयोग, बल्कि पूरा मीडिया समुदाय और सामान्य जनता कर रही है। सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इन राज्यों की सरकारें पत्रकारिता की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कितनी गंभीर हैं।

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Author: ainewsworld

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