राजस्थान में रोजगार के लिए युवाओं की बेचैनी और प्रतिस्पर्धा का एक अभूतपूर्व नजारा देखने को मिला। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSMSSB) द्वारा आयोजित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भर्ती परीक्षा के पहले दिन ही प्रदेश भर के परीक्षा केंद्रों पर उम्मीदवारों की भीड़ उमड़ी। यह परीक्षा पिछले 20 वर्षों में आयोजित होने वाली सबसे बड़ी भर्ती प्रक्रिया है, जिसमें 53,749 पदों के लिए 24 लाख 75 हजार से भी अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम: नोज पिन से लेकर धार्मिक धागे तक उतरवाए गए
परीक्षा में नकल रोकने और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए बोर्ड द्वारा अत्यंत सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल अपनाया गया। अभ्यर्थियों को परीक्षा हॉल में प्रवेश से पहले कई तरह की जांच प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा। मेटल डिटेक्टर जांच के दौरान महिला उम्मीदवारों की बालियाँ, नोज पिन और चेन तक उतरवा ली गईं। कई केंद्रों पर अभ्यर्थियों द्वारा पहने गए धार्मिक धागे (कलावा, मौली) और कड़े भी कैंची से काटे गए, क्योंकि उनमें किसी प्रकार की धातु होने की आशंका जताई गई। फुल आस्तीन के कपड़े पहनकर आए कई छात्र-छात्राओं को उन्हें उतारकर केवल बनियान में ही परीक्षा देनी पड़ी। पाली में एक अभ्यर्थी को ब्लूटूथ डिवाइस के साथ पकड़ा गया, जिसे तत्काल परीक्षा केंद्र से बाहर कर दिया गया।
एक मिनट की देरी, सालों की मेहनत पर पानी फिरा
बोर्ड के निर्देशों के मुताबिक, सुबह 9 बजे के बाद किसी भी अभ्यर्थी को परीक्षा हॉल में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। इस सख्ती के चलते जो उम्मीदवार मात्र कुछ मिनटों की देरी से पहुंचे, उन्हें वापस लौटना पड़ा। जयपुर, अजमेर, उदयपुर जैसे शहरों से लेकर सीकर, भरतपुर और बांसवाड़ा जैसे जिलों में ऐसे कई मामले सामने आए। जयपुर के बसाड़ा के सुरेश कुमार गुर्जर मात्र एक मिनट की देरी से पहुंचे और परीक्षा में बैठने से वंचित रह गए। वहीं, बांसवाड़ा में 35 किलोमीटर का सफर तय करके आई एक महिला अभ्यर्थी पांच मिनट देरी से पहुंची और उसका सालों का संघर्ष बेकार गया। ऐसे कई उम्मीदवार परीक्षा केंद्र के गेट पर हाथ जोड़कर मिन्नतें करते नजर आए, लेकिन नियम के आगे उनकी एक न चली।
ओवरक्वालिफाइड उम्मीदवारों की भीड़, चपरासी पद के लिए जुटे ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट
इस भर्ती का एक चौंकाने वाला पहलू यह रहा कि इतनी बड़ी संख्या में उम्मीदवारों ने एक चतुर्थ श्रेणी के पद के लिए आवेदन किया है। RSMSSB अध्यक्ष मेजर आलोक राज (सेवानिवृत्त) के अनुसार, इस परीक्षा के लिए न्यूनतम योग्यता केवल दसवीं पास रखी गई थी, लेकिन लगभग 75% आवेदक ओवरक्वालिफाइड हैं। यानी इनमें से अधिकांश उम्मीदवार स्नातक या उससे भी अधिक योग्यता रखते हैं। यह आंकड़ा राज्य में रोजगार के संकट और नौकरियों की कमी को स्पष्ट रूप से उजागर करता है, जहां युवा शिक्षित होने के बावजूद एक छोटे से पद के लिए आवेदन करने को मजबूर हैं।
पेपर लीक रोकने के लिए बोर्ड की सख्त चेतावनी
बोर्ड अध्यक्ष मेजर आलोक राज ने परीक्षा की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि परीक्षा के सभी छ: पारियाँ (21 सितंबर तक) पूरी होने तक किसी भी कोचिंग संचालक, शिक्षक या व्यक्ति द्वारा प्रश्न पत्र का विश्लेषण या चर्चा करना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। ऐसा करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह कदम पेपर लीक जैसी अनियमितताओं को रोकने और सभी उम्मीदवारों के साथ न्याय सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
यह परीक्षा तीन दिनों तक चलेगी और 21 सितंबर को समाप्त होगी। इस दौरान लाखों युवाओं की नजरें सरकारी नौकरी पाने के अपने सपने को साकार करने पर टिकी हैं।

Author: ainewsworld



