भारतीय मुक्केबाजी के इतिहास में सुनहरा अध्याय जोड़ने वाली जैस्मिन लंबोरिया और मीनाक्षी ने विश्व चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया है।
भारतीय मुक्केबाजी ने इंग्लैंड में आयोजित विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप 2025 में इतिहास रच दिया है। जैस्मिन लंबोरिया (57 किग्रा) और मीनाक्षी (48 किग्रा) ने अपने-अपने वर्गों में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया। दोनों ही मुक्केबाजों ने ओलंपिक पदक विजेताओं को हराकर यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है ।
मीनाक्षी ने कजाखस्तान की नजिम काईजीबे को 4-1 से हराया, जो तीन बार की विश्व विजेता और पेरिस ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता हैं। वहीं जैस्मिन ने पोलैंड की जूलिया स्जेरेमेटा को पराजित किया, जिसने हाल ही में पेरिस ओलंपिक 2024 में रजत पदक जीता था ।
मीनाक्षी का ऐतिहासिक प्रदर्शन
· रणनीतिक श्रेष्ठता: मीनाक्षी ने अपने लंबे हाथों का फायदा उठाते हुए बैकफुट पर रहकर भी प्रतिद्वंद्वी पर सीधे पंच जमाए। उन्होंने नजिम की ओलंपिक-स्तरीय अनुभव को कुशल चालबाजी से निष्प्रभावी कर दिया।
· निर्णायक जीत: अंतिम नतीजा 4-1 के स्पष्ट अंतर से मीनाक्षी के पक्ष में रहा, जिसने भारत को इस टूर्नामेंट में पहला स्वर्ण दिलाया .
जैस्मिन की शानदार वापसी
· प्रारंभिक चुनौती: जैस्मिन पहले राउंड में 2-3 से पीछे चल रही थीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
· जबरदस्त पलटवार: दूसरे राउंड में उन्होंने शानदार वापसी करते हुए मैच पर कब्जा जमा लिया।
· संतुलित खेल: उन्होंने अटैक और डिफेंस के बीच जबरदस्त समन्वय स्थापित किया, जिससे सभी जज उनके पक्ष में हो गए .
· विजय निर्धारण: अंततः मुकाबला 4-1 से जैस्मिन के पक्ष में तय हुआ और भारत को दूसरा स्वर्ण मिला .
विजेताओं की पृष्ठभूमि और संघर्ष-:
जस्मिन लंबोरिया: मुक्केबाजी विरासत की धुरी
जैस्मिन लंबोरिया का जन्म 30 अगस्त, 2001 को हरियाणा के भिवानी में हुआ था। वह एक मुक्केबाज परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके परदादा हवा सिंह एक हैवीवेट मुक्केबाज और दो बार एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता थे। उनके दादा कैप्टन चंदर भान एक पहलवान थे .
जैस्मिन को कोचिंग उनके चाचा संदीप सिंह और परविंदर सिंह ने दी, जो राष्ट्रीय चैंपियन भी रह चुके हैं। एक लड़की के रूप में इस खेल में करियर बनाना आसान नहीं था, लेकिन जैस्मिन ने न केवल पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाया, बल्कि इस खेल में अपने परिवार, प्रदेश और देश का नाम रोशन किया .
मीनाक्षी: हरियाणा की नई घुड़की
मीनाक्षी हुड्डा हरियाणा के रोहतक जिले के छोटे से गाँव रूरकी की रहने वाली हैं। 24 वर्षीय मीनाक्षी ने इस टूर्नामेंट में अपना पहला स्वर्ण जीतकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। हालाँकि महिलाओं का 48 किग्रा वर्ग गैर-ओलंपिक वेट कैटेगरी है, लेकिन विश्व चैंपियनशिप का ताज उन्हें दुनिया की शीर्ष मुक्केबाजों में से एक के रूप में स्थापित करता है .
भारतीय महिला मुक्केबाजों ने इस टूर्नामेंट में चार पदक जीतकर इतिहास रच दिया। जैस्मिन और मीनाक्षी के स्वर्ण पदकों के अलावा, नूपुर (80+ किग्रा) ने रजत पदक जीता, जबकि पूजा रानी (80 किग्रा) ने कांस्य पदक अपने नाम किया .
इसी के साथ वर्ल्ड चैंपियनशिप के मौजूदा सीजन में भारत ने चौथा मेडल जीत लिया है। इनमें एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज भी शामिल हैं .

Author: ainewsworld



