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केंद्र सरकार ने देश में प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने संयुक्त रूप से स्कूलों के साथ आंगनवाड़ी केंद्रों को एक ही परिसर में स्थापित करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
यह ऐतिहासिक पहल प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत @2047’ के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इसका उद्देश्य बच्चों को प्री-स्कूल शिक्षा से लेकर प्राथमिक कक्षाओं तक एक सहज और निर्बाध शैक्षिक सफर प्रदान करना है।
एकीकृत शिक्षा प्रणाली की नींव
इस योजना के तहत, जहाँ भी संभव होगा, आंगनवाड़ी केंद्रों को प्राथमिक विद्यालयों के परिसर में ही स्थापित किया जाएगा। इससे न केवल संसाधनों का इष्टतम उपयोग होगा, बल्कि बच्चों के लिए खेल-खेल में सीखने का मजबूत आधार भी तैयार होगा। इससे आंगनवाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों का स्कूलों में दाखिला होने पर ढालना आसान होगा और उनकी पढ़ाई का सिलसिला बिना किसी रुकावट के जारी रहेगा।
आंगनवाड़ी दीदियों के लिए शिक्षा का नया अवसर
इस कार्यक्रम में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (दीदियों) के उत्थान पर विशेष जोर दिया गया है। श्री प्रधान ने घोषणा की कि जो दीदियाँ 12वीं कक्षा तक पढ़ी नहीं हैं लेकिन आगे शिक्षा हासिल करना चाहती हैं, उनके लिए एक विशेष शिक्षण मॉड्यूल तैयार किया जाएगा। साथ ही, आधुनिक तकनीक जैसे कृत्रिम मेधा (AI) का उपयोग करके भारतीय भाषाओं में शिक्षण सामग्री को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।
ग्रामीण भारत की शिक्षा में उल्लेखनीय सुधार
श्री प्रधान ने हाल ही में जारी ‘असर’ और ‘परख’ रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक चौंकाने वाला तथ्य साझा किया। उन्होंने बताया कि ग्रामीण भारत के बच्चों का सीखने का स्तर अब शहरी बच्चों से बेहतर हो गया है। यह सफलता देश की लाखों आंगनवाड़ी दीदियों के अथक परिश्रम और समर्पण का सीधा परिणाम है।
डिजिटल इंडिया का शिक्षा से जुड़ाव
इस योजना की एक बड़ी खासियत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना भी है। मंत्री ने बताया कि अगले तीन वर्षों में देश के लगभग 2 लाख सरकारी और निजी हाई स्कूलों को हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड से जोड़ा जाएगा। इससे डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा और बच्चों को अत्याधुनिक संसाधन उपलब्ध होंगे।
‘निपुण भारत’ की ओर एक कदम
यह दिशा-निर्देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप हैं, जिसने पहली बार 5+3+3+4 की संरचना में प्री-स्कूल की तीन वर्ष की शिक्षा को शामिल किया है। यह पहल ‘निपुण भारत’ मिशन और ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ अभियान को साकार करने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्रों का बेहतर एकीकरण होगा और देश के लगभग 15 करोड़ बच्चों के सुनहरे भविष्य की नींव मजबूत होगी।
इस पहल से न केवल बच्चों को बेहतर शुरुआत मिलेगी, बल्कि यह देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में एक मजबूत स्तंभ साबित होगी।

Author: ainewsworld



