
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 आस्था, आध्यात्मिकता और पर्यावरण संरक्षण का एक अभूतपूर्व उदाहरण बनकर उभरा। इस पवित्र आयोजन में 66.30 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम में डुबकी लगाकर अपनी आस्था प्रकट की। 45 दिनों तक चलने वाले इस महाकुंभ ने न केवल भक्ति और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया, बल्कि स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के नए मानक भी स्थापित किए।
स्वच्छता में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड
महाकुंभ 2025 के दौरान गंगा सफाई अभियान और सामूहिक स्वच्छता पहल ने एक नया इतिहास रचा। 329 लोगों ने गंगा सफाई अभियान में भाग लेकर, जबकि 19,000 से अधिक व्यक्तियों ने सामूहिक सफाई में हिस्सा लेकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। इस उपलब्धि के पीछे सफाई कर्मचारियों और राज्य सरकार के अथक प्रयासों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसके लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सफाई कर्मचारियों की मेहनत को सराहते हुए उनका वेतन अप्रैल 2025 से 16,000 रुपये करने और 10,000 रुपये का बोनस देने की घोषणा की।
महाकुंभ के बाद का स्वच्छता अभियान
महाकुंभ के समापन के साथ ही प्रशासन का ध्यान शहर को पुनर्स्थापित करने और कुंभ क्षेत्र को उसकी प्राचीन शुद्धता में लौटाने की ओर गया। इतिहास के सबसे बड़े मानव समागमों में से एक के बाद, महाकुंभ स्थल की सफाई एक बड़ी चुनौती थी। इसके लिए राज्य सरकार ने 15 दिनों का विशेष स्वच्छता अभियान शुरू किया। हजारों सफाई कर्मचारियों और स्वयंसेवकों ने मिलकर नदी के किनारों, सड़कों और अस्थायी बस्तियों की सफाई की।

पर्यावरण संरक्षण का संदेश
सफाई अभियान के साथ-साथ प्रशासन और पर्यावरणविदों ने लोगों से इन पवित्र नदियों की शुद्धता बनाए रखने का आग्रह किया। एक स्थानीय अधिकारी ने कहा, “महाकुंभ भले ही समाप्त हो गया हो, लेकिन स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी खत्म नहीं हुई है। यह हमारा सामूहिक कर्तव्य है कि हम अपनी नदियों को शुद्ध और प्रदूषण मुक्त बनाए रखें।”
महाकुंभ 2025 ने न केवल आस्था और आध्यात्मिकता को मजबूत किया, बल्कि स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता भी फैलाई। यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक विरासत और सामूहिक प्रयासों की शक्ति का एक जीवंत उदाहरण बन गया है।

Author: ainewsworld



