राजस्थान सरकार ने पंचायत चुनाव को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। सरकार ने आदेश जारी करते हुए उन सरपंचों का कार्यकाल बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिनका कार्यकाल समाप्त हो रहा था। यह फैसला “वन स्टेट, वन इलेक्शन” की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
अब राज्य की सभी ग्राम पंचायतों, जिनका कार्यकाल 17 जनवरी को समाप्त हो रहा था, उनके सरपंचों को प्रशासक नियुक्त कर पंचायत का संचालन करने का आदेश दिया गया है। राजस्थान की 6759 ग्राम पंचायतें इस फैसले से प्रभावित होंगी।
इसके तहत, सरकार ने प्रशासकीय समितियां गठित करने का फैसला किया है। इन समितियों में निवर्तमान सरपंचों को प्रशासक बनाया जाएगा, जबकि वार्ड पंचों और उपसरपंचों को समिति के सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा।
राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 के तहत सरकार ने यह निर्णय लिया है। जिन ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 31 जनवरी 2025 तक समाप्त हो रहा है और जहां चुनाव अपरिहार्य कारणों से नहीं हो सके हैं, उन सभी ग्राम पंचायतों में निवर्तमान सरपंच प्रशासक के रूप में काम करेंगे।
सरपंच प्रशासक के तौर पर पंचायत के सभी कार्यों और निर्णयों का संचालन करेंगे। उनके साथ ग्राम विकास अधिकारी भी ग्राम पंचायत के वित्तीय और प्रशासनिक कार्यों को संभालेंगे। प्रशासक और प्रशासकीय समिति का कार्यकाल नवनिर्वाचित ग्राम पंचायत की पहली बैठक तक रहेगा।
राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को आदेश दिया है कि वे संबंधित ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति और प्रशासकीय समितियों का गठन सुनिश्चित करें।
सरपंच समिति से सलाह लेकर काम करेंगे
- जिन पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो गया है, उनमें सरपंच प्रशासक का काम करेंगे, लेकिन उन्हें प्रशासनिक समिति से राय लेनी होगी।
- कलेक्टर हर ग्राम पंचायत में प्रशासक लगाने और प्रशासनिक समिति बनाना काम करेंगे।
- पंचायती राज विभाग की अधिसूचना के अनुसार सभी जिलों के कलेक्टर अपने-अपने इलाके में जिन ग्राम पंचायत का कार्यकाल पूरा हो रहा है। उनमें प्रशासक लगाने और प्रशासनिक समिति बनाने का काम करेंगे।