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श्री संजय कुमार ने प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा के व्यापक लक्ष्‍यों को हासिल करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की

शिक्षा मंत्रालय में, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता, के सचिव श्री संजय कुमार ने आज (9 मई, 2024) अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में प्रारंभिक बचपन देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई) के व्यापक लक्ष्‍यों को हासिल करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, राज्यों और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के स्वायत्त निकायों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जैसा कि राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा-मूलभूत चरण (एनसीएफ-एफएस) के तहत परिकल्पना की गई है, बिना किसी बाधा के बदलाव और गुणवत्तापूर्ण ईसीसीई के लिए पूर्व-स्कूली शिक्षा और स्कूली शिक्षा की निरंतरता जरूरी है।

इस अवसर पर बोलते हुए, श्री संजय कुमार ने इस बैठक का संदर्भ निर्धारित किया और गुणवत्तापूर्ण ईसीसीई में प्रत्येक हितधारक के महत्व पर प्रकाश डाला। श्री कुमार ने एक बार फिर बल देते हुए कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा की गई विभिन्न पहलों को देखकर प्रसन्‍नता हो रही है।

बैठक के दौरान, पहली कक्षा वाले सभी सीबीएसई और केंद्रीय विद्यालयों में प्री-प्राइमरी के लिए 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए तीन बालवाटिकाएं रखने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। उचित पूर्व-स्कूली शिक्षा हासिल करने और ग्रेड-1 में सुचारु रूप से बदलाव के लिए विकेन्द्रीकृत तरीके से डब्ल्यूसीडी के समन्वय से गांवों में प्राथमिक विद्यालयों के साथ आंगनबाड़ियों को स्थापित करने की संस्‍तुति की गई थी।

सर्वांगीण सीखने के अनुभव के लिए पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं वाले सरकारी स्कूलों में जादूई पिटारे का इस्‍तेमाल करने का भी सुझाव दिया गया। यह सुझाव दिया गया कि एनसीईआरटी मौजूदा शिक्षण खिलौनों का मूल्‍यांकन करने के लिए राज्य के अधिकारियों के साथ काम कर सकता है, जिससे एनसीएफ-एफएस उद्देश्‍यों के साथ संरेखण सुनिश्चित हो सके।

यह भी सुझाव दिया गया कि शिक्षा मंत्रालय और डब्‍ल्‍यूसीडी को पूर्व-प्राथमिक से कक्षा-1 ट्रांज़िशन पर नजर रखने के लिए पोषण ट्रैकर और यूडीआईएसई+डेटा को जोड़ने के लिए सहयोग करना चाहिए। राज्य खरीद में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए जादूई पिटारा सामग्रियों के लिए मापदंडों को परिभाषित कर सकते हैं और प्रस्तावों के लिए अनुरोध (आरएफपी) का उपयोग कर सकते हैं।

दृश्यता और मान्यता बढ़ाने के लिए राज्यों में निपुण भारत, जादूई पिटारा, ई-जादूई पिटारा और विद्या प्रवेश जैसे कार्यक्रमों के लिए ब्रांडिंग के मानकीकरण पर भी विचार-विमर्श हुआ।

यह सुझाव दिया गया कि जादूई पिटारे का अपनाया गया और अनुकूलित संस्करण जादूई पिटारे के लिए एनसीईआरटी द्वारा निर्धारित, निर्धारित सीखने के परिणामों के अनुरूप होना चाहिए। एनसीईआरटी को निर्दिष्ट शिक्षण परिणामों का पालन करने में एससीईआरटी का समर्थन करना चाहिए।

बैठक के दौरान पूर्व-स्कूली शिक्षकों और आंगनवाड़ी कर्मियों (एडब्ल्यूडब्ल्यू) के उचित प्रशिक्षण की जरूरत पर भी विस्तार से विचार-विमर्श हुआ।

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Author: ainewsworld

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