भारत सरकार सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों को कम करने की अपनी प्रतिबद्धता और मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162 के तहत कानूनी अधिदेश के अनुरूप, मोटर वाहनों के उपयोग के कारण सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को कैशलेस उपचार प्रदान करने के लिए एक प्रायोगिक कार्यक्रम शुरू कर रही है।
इस प्रायोगिक कार्यक्रम को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के तत्वाधान में विकसित किया गया है। इस कार्यक्रम को चंडीगढ़ में शुरू किया जा रहा है और इसका उद्देश्य गोल्डन ऑवर्स (स्वर्णिम समय) के दौरान सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को समय पर चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए एक इकोसिस्टम बनाना है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) पुलिस, अस्पतालों, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (एसएचए) आदि के समन्वय में प्रायोगिक कार्यक्रम के लिए कार्यान्वयन एजेंसी होगी।
प्रायोगिक कार्यक्रम की व्यापक रूपरेखा इस प्रकार हैः
• पीड़ित, दुर्घटना की तारीख से अधिकतम सात दिनों की अवधि के लिए प्रति दुर्घटना प्रति व्यक्ति अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक कैशलेस उपचार प्राप्त करने के हकदार ।
• किसी भी श्रेणी की सड़क पर मोटर वाहन के उपयोग के कारण होने वाली सभी सड़क दुर्घटनाओं पर लागू।
• आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) पैकेजों को गंभीर चोट (ट्रॉमा) और पॉलीट्रॉमा मामलों के लिए शामिल किया जा रहा है।
• उपचार प्रदान करने के लिए अस्पतालों द्वारा किए गए दावों की प्रतिपूर्ति मोटर वाहन दुर्घटना निधि से की जाएगी।
इस कार्यक्रम को एक आईटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा जिसमें सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के ई-डीएआर एप्लिकेशन और एनएचए के ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम (टीएमएस) की कार्यक्षमताएं शामिल होंगी।
इस प्रायोगिक कार्यक्रम के नतीजों के आधार पर, पूरे देश में कैशलेस उपचार की सुविधा के विस्तार पर विचार किया जाएगा।

Author: ainewsworld



