उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि कोई भी लोकतंत्र तब तक जीवित, विकसित और सफल नहीं हो सकता, जब तक कि कानून के समक्ष समानता न हो। मिजोरम विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि अब कानून के समक्ष समानता जमीनी वास्तविकता है और जो लोग स्वयं को कानून से ऊपर मानते थे, वे अब इसके दायरे में हैं।
उपराष्ट्रपति ने युवाओं से पारंपरिक रास्तों को छोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने बल देकर कहा कि युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं और सरकारी नौकरी को हासिल करने की अंधाधुंध दौड़ से बाहर आने की जरूरत है। उन्होंने उन्हें अलग ढंग से सोचने, विचारों को अपने दिमाग में कार्यान्वित करने और असफलता से न डरने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि असफलता सफलता की ओर जाने वाला एक कदम होता है।