नीति आयोग में आज नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने कृषि वानिकी (जीआरओडब्ल्यू) रिपोर्ट और पोर्टल के साथ भारत की बंजर भूमि को हरा-भरा बनाने की शुरुआत की। नीति आयोग के नेतृत्व में इस बहु-संस्थागत प्रयास ने भारत के सभी जिलों में कृषि वानिकी उपयुक्तता का आकलन करने के लिए रिमोट सेंसिंग और जीआईएस का इस्तेमाल किया। विषयगत डेटासेट का उपयोग करते हुए राष्ट्रीय स्तर की प्राथमिकता के लिए एक कृषि वानिकी उपयुक्तता सूचकांक (एएसआई) विकसित किया गया। यह रिपोर्ट राज्य और जिले के हिसाब से विश्लेषण करती है, जो हरियाली और नवीनीकरण परियोजनाओं के लिए सरकारी विभागों और उद्योगों का सहयोग करती है।
रिपोर्ट के लोकार्पण के दौरान नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने बताया कि कृषि वानिकी को विशेष रूप से बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसमें तीन चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है। जैसे लकड़ी और लकड़ी के उत्पादों के आयात को कम करना, वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्बन को अलग करने (पृथक्करण) और कृषि योग्य भूमि का बेहतर उपयोग करना शामिल है। कृषि योग्य बंजर भूमि को कृषि वानिकी के माध्यम से उत्पादक उपयोग में परिवर्तित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना से दीर्घकालिक लाभ मिलेगा और कृषि में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।
पैनल चर्चा के दौरान डॉ. एसके चौधरी ने कहा कि पोर्टल विभिन्न कार्यक्रमों में सहायक होगा, क्योंकि भारत सरकार कृषि वानिकी को बढ़ावा देने और विस्तार की भूमिका को संवेदनशील बनाने के लिए काम कर रही है। हरियाली और पुनर्नवीकरण में कृषि वानिकी को बढ़ाने के लिए सत्र का आयोजन किया गया। इसमें झांसी के आईसीएआर-सेंट्रल एग्रोफोरेस्ट्री रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. ए अरुणाचलम, नाबार्ड के एफएसडीडी के जीएम डॉ. आर रवि बाबू, सीआईएफओआर-आईसीआरएएफ के इनोवेशन, इनवेस्टमेंट और इम्पैक्ट के निदेशक डॉ. रवि प्रभु और हैदराबाद स्थित एनआरएससी के आरएसए के ग्रुप हेड डॉ. राजीव कुमार थे।