सरकार ने ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) पर आधारित बाधा रहित फ्री फ्लो टोलिंग जैसी नई प्रौद्योगिकियों के कार्यान्वयन को लेकर सलाहकार सेवाएं प्रदान करने के लिए एक सलाहकार नियुक्त किया है।
शुरू में फास्टैग के साथ एक अतिरिक्त सुविधा के रूप में प्रायोगिक आधार पर राष्ट्रीय राजमार्गों के कुछ चुने गए सेक्शन पर जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ईटीसी) प्रणाली को लागू करने का निर्णय लिया गया है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) अधूरे केवाईसी वाले फास्टैग यूज़र्स को प्रोत्साहित कर रहा है कि वे आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार अपनी ‘अपने ग्राहक को जानें’ (केवाईसी) प्रक्रिया को पूरा करें।
अधूरे केवाईसी वाले फास्टैग को 29.02.24 के बाद बैंकों द्वारा ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने पहले तमाम जारीकर्ता बैंकों को निर्देश जारी किए थे कि वे 01.03.23 से पहले सभी फास्टैग यूज़र्स के केवाईसी पूरे कर लें। हालांकि, 100 प्रतिशत अनुपालन हासिल नहीं किया गया था। एनएचएआई की इस हालिया पहल का उद्देश्य फास्टैग प्रणाली को 100 प्रतिशत केवाईसी अनुपालन योग्य बनाना है ताकि सड़क से यात्रा करने वाले टोल प्लाजा पर असुविधा से बच सकें। “एक वाहन एक फास्टैग” के तहत एनएचएआई का लक्ष्य एक ही वाहन पर जारी किए गए कई फास्टैग को निष्क्रिय/ब्लैक लिस्ट करना है।
ऐसे मामले सामने आए हैं जब वाहन को जारी किए गए फास्टैग को बगैर विंडस्क्रीन पर लगाए ही दूसरे वाहन में ले जाया जाता है। इसके चलते यूज़र फीस कट जाती है, जबकि उस वाहन ने टोल प्लाजा पार नहीं किया होता है। एक वाहन एक फास्टैग की पहल के साथ, फास्टैग के ऐसे दुरुपयोग को कम किया जाएगा।
एक वाहन एक फास्टैग पहल का उद्देश्य दक्षता बढ़ाना और इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह को मजबूत करना है। इसके उद्देश्य हैं:
- ट्रांजेक्शन प्रोसेसिंग में देरी को कम करना
- सिस्टम से बड़ी मात्रा में निष्क्रिय/ब्लैक लिस्ट फास्टैग को हटाना
- ऐसे फास्टैग के अनधिकृत संचालन की रोकथाम, जो वाहन की विंडस्क्रीन पर नहीं लगाए जाते हैं
- अन्य वाहन के फास्टैग के दुरुपयोग और अन्य धोखाधड़ी वाली गतिविधियों की संभावना को न्यूनतम करके सिस्टम की समग्र विश्वसनीयता को बढ़ाना
- टोलिंग के उद्देश्य से वाहन के लिए विशिष्ट पहचान बनाना।