भारत सरकार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत प्रजनन मातृ नवजात शिशु किशोर स्वास्थ्य प्लस पोषण (आरएमएनसीएएच+एन) रणनीति लागू कर रही है, जिसमें पूरे देश में महिलाओं और बच्चों के बीच एनीमिया और कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए विभिन्न गतिविधियां शामिल हैं। य हस्तक्षेप निम्न प्रकार से हैं:
- स्तनपान कवरेज में सुधार के लिए मदर्सएब्सोल्यूटअफेक्शन (एमएए) लागू किया गया है, जिसमें स्तनपान की शीघ्र शुरुआत और पहले छह महीनों के लिए विशेष स्तनपान सम्मिलित है। इसके बाद अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की क्षमता निर्माण और व्यापक सूचना, शिक्षा एवं संचार (आईईसी) अभियानों के माध्यम से उम्र-के अनुसार उपयुक्त पूरक आहार प्रथाएं सम्मिलित हैं।
- चिकित्सीय जटिलताओं के साथ गंभीर तीव्र कुपोषण (एसएएम) से पीड़ित 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को रोगी के रूप में चिकित्सा और पोषण संबंधी देखभाल प्रदान करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर पोषणपुनर्वासकेंद्र (एनआरसी) स्थापित किए जाते हैं। उपचारात्मक देखभाल के अलावा, बच्चों के लिए समय पर, पर्याप्त और उचित भोजन, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को ठीक करना, माँ और देखभाल करने वालों के लिए संपूर्ण आयु के अनुसार उपयुक्त देखभाल और भोजन प्रथाओं के कौशल में सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके अलावा बच्चों में पोषण और स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान के लिए माताओं को परामर्श सहायता प्रदान की जाती है।
- एनीमियामुक्तभारत (एएमबी) कार्यक्रम छह लाभार्थी आयु वर्ग – बच्चों (6-59 महीने), बच्चों (5-9 वर्ष), किशोरों (10-19 वर्ष), गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं और महिलाओं में एनीमिया को कम करने के लिए मजबूत संस्थागत व्यवस्था के माध्यम से छह हस्तक्षेपों के कार्यान्वयन के माध्यम से जीवन चक्र दृष्टिकोण में प्रजनन आयु समूह (15-49 वर्ष) के लिए कार्यान्वित किया गया है। एनीमिया की समस्या के समाधान के लिए उठाए गए कदम निम्नलिखित हैं:
- सभी छह लक्षित आयु समूहों में रोगनिरोधी आयरन और फोलिक एसिड अनुपूरण की व्यवस्था।
- वर्ष-भर का गहन व्यवहार परिवर्तन संचार (बीसीसी) अभियान: (ए) आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण और कृमि मुक्ति के अनुपालन में सुधार, (बी) शिशु और छोटे बच्चे के उचित आहार प्रथाओं को बढ़ाना, (सी) आहार विविधता के माध्यम से आयरन युक्त भोजन के सेवन में वृद्धि को प्रोत्साहित करना स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों के उपयोग पर ध्यान देने के साथ (डी) स्वास्थ्य सुविधाओं में प्रसव के बाद देरी से कॉर्ड क्लैम्पिंग सुनिश्चित करना।
- गर्भवती महिलाओं और स्कूल जाने वाली किशोरियों पर विशेष ध्यान देने के साथ डिजिटल तरीकों और देखभाल उपचार का उपयोग करके परीक्षण करना।
- मलेरिया, हीमोग्लोबिनोपैथी और फ्लोरोसिस पर विशेष ध्यान देने के साथ स्थानीय इलाकों में एनीमिया के गैर-पोषण संबंधी कारणों को संबोधित करना।
- उच्च प्राथमिकता वाले जिलों (एचपीडी) में गंभीर एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की पहचान और अनुवर्ती कार्रवाई के लिए एएनएम को प्रोत्साहन प्रदान करना।
- IV आयरन सुक्रोज/रक्त आधान द्वारा गर्भवती महिलाओं में गंभीर एनीमिया का प्रबंधन।
- सामुदायिक गतिशीलता और आईईसी/बीसीसी गतिविधियों के माध्यम से आशा कार्यकर्ताओं द्वारा जागरूकता।
- कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए अन्य संबंधित विभागों और मंत्रालयों के साथ तालमेल और समन्वय।
- राष्ट्रीयकृमिमुक्तिदिवस (एनडीडी) के अंतर्गत सभी बच्चों और किशोरों (1-19 वर्ष) के बीच मिट्टी से प्रसारित कृमि संक्रमण (एसटीएच) के संक्रमण को कम करने के लिए स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से एक निश्चित दिन में दो राउंड (फरवरी और अगस्त) में एल्बेंडाजोल की गोलियां खिलाई जाती हैं।
- मासिकग्रामस्वास्थ्य, स्वच्छताऔरपोषणदिवस (वीएचएसएनडी) एकीकृतबालविकाससेवाएँ (आईसीडीएस) के साथ मिलकर पोषण सहित मातृ एवं शिशु देखभाल के प्रावधान के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों पर एक जन संपर्क गतिविधि है।
- गर्भवती महिलाओं को आहार, आराम, गर्भावस्था के खतरे के संकेत, लाभ योजनाओं और संस्थागत प्रसव के बारे में शिक्षित करने के लिए मातृएवंशिशुसुरक्षाकार्ड (एमसीपी) कार्डऔरसुरक्षितमातृत्वपुस्तिकावितरित की जाती है।
उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा बताया गया है कि सरकार पौष्टिक भोजन तक पहुंच में सुधार के लिए विभिन्न योजनाएं, जैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) 2013, जो लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के तहत अत्यधिक सब्सिडी वाला खाद्यान्न प्रदान करती है, लागू करती है। 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी और 50 प्रतिशत शहरी आबादी तक कवरेज के लिए और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के अंतर्गत, अंत्योदय अन्न योजना घरों और प्राथमिकता वाले परिवारों के 81.35 करोड़ लाभार्थियों को 1 जनवरी 2024 से पांच साल की अवधि के लिए मुफ्त खाद्यान्न प्रदान किया जा रहा है।
जैसा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा बताया गया है कि कृषि विज्ञान केंद्र योजना के अंतर्गत, 30310 कृषक परिवारों में 16681 न्यूट्री-गार्डन स्थापित किए गए हैं और स्वास्थ्य और पोषण साक्षरता पर जागरूकता गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं।
जैसा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा बताया गया है, कि मिशन पोषण 2.0 के अंतर्गत, पूरक पोषण कार्यक्रम 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, किशोर लड़कियों (14-18 वर्ष), गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) अधिनियम 2013 के अनुसूची II के अंतर्गत पोषण मानदंडों के अनुसार पोषण संबंधी सहायता प्रदान करता है।
इसके अलावा, शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण) बालवाटिका (प्री-स्कूल) से कक्षा आठवीं तक के विद्यालय जाने वाले बच्चों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) अधिनियम, 2013 की अनुसूची II के तहत पोषण मानदंडों के अनुसार सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में एक गर्म पका हुआ भोजन प्रदान करता है।
भारत सरकार घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और आवश्यक खाद्य वस्तुओं के मूल्यों को स्थिर करने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज लोकसभा में लिखित उत्तर में यह जानकारी प्रदान की।