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रूस से युद्ध, फिर व्हाइट हाउस में ट्रंप से तीखी बहस और अटका खनिज सौदा… क्या जेलेंस्की को चुकानी पड़ेगी भारी कीमत ?                              क्या हुआ व्हाइट हाउस में ?

जेलेंस्की और ट्रंप की तीखी बहस

मीडिया के बीच ट्रंप और जेलेंस्की

व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस के बाद दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण खनिज सौदा अटक गया है। यह सौदा यूक्रेन की खनिज संपदा तक अमेरिका की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए था, लेकिन जेलेंस्की ने बिना किसी शर्त के अमेरिकी सहायता जारी रखने पर जोर दिया। इस मुद्दे पर दोनों नेताओं के बीच हुई बहस इतनी तीखी हो गई कि बैठक अचानक समाप्त कर दी गई और जेलेंस्की को बिना सौदे पर हस्ताक्षर किए ही व्हाइट हाउस छोड़ना पड़ा।

क्या हुआ व्हाइट हाउस में?

व्हाइट हाउस में हुई बैठक का मुख्य उद्देश्य यूक्रेन और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण खनिज सौदे को अंतिम रूप देना था। हालांकि, बैठक के दौरान ट्रंप और जेलेंस्की के बीच तनाव बढ़ गया। ट्रंप ने यूक्रेन को सैन्य सहायता देने के बदले में यूक्रेन की खनिज संपदा तक पहुंच की मांग की, लेकिन जेलेंस्की ने इस पर स्पष्ट रूप से आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यूक्रेन को बिना किसी शर्त के अमेरिकी सहायता की आवश्यकता है, खासकर रूस के साथ चल रहे युद्ध के मद्देनजर।

इसके बाद स्थिति इतनी बिगड़ गई कि ट्रंप ने जेलेंस्की को बैठक छोड़ने के लिए कह दिया। इस घटना के बाद अमेरिका और यूक्रेन के बीच संबंधों में तनाव बढ़ने की आशंका है। साथ ही, अमेरिका यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता को रोक सकता है, जो रूस के साथ युद्ध में फंसे यूक्रेन के लिए एक बड़ा झटका होगा।

ट्रंप और जेलेंस्की की बहस का कारण क्या था?

बैठक की शुरुआत में ट्रंप ने रूस के साथ युद्ध को समाप्त करने की आशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, “हम दोपहर के भोजन के बाद ईस्ट रूम में समझौते पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं। यह एक रोमांचक क्षण होगा जब युद्ध समाप्त होगा या हम एक सौदे पर पहुंचेंगे। मुझे लगता है कि हम इसके काफी करीब हैं।” इस पर जेलेंस्की ने सावधानी से जवाब दिया और ट्रंप को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह समझौता यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी की दिशा में पहला कदम होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यूक्रेन को अमेरिकी समर्थन की निरंतर आवश्यकता है।

लेकिन जैसे-जैसे बैठक आगे बढ़ी, ट्रंप ने यूक्रेन की खनिज संपदा तक पहुंच की मांग को लेकर जेलेंस्की पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। ट्रंप का मानना था कि अमेरिका द्वारा दी जा रही सैन्य सहायता के बदले में यूक्रेन को अपनी खनिज संपदा तक अमेरिका की पहुंच की अनुमति देनी चाहिए। हालांकि, जेलेंस्की ने इस मांग को ठुकरा दिया और कहा कि यूक्रेन को बिना किसी शर्त के अमेरिकी सहायता की आवश्यकता है।

खनिज सौदे का क्या महत्व था?

यह खनिज सौदा अमेरिका के लिए काफी महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे अमेरिका को यूक्रेन के खनिज संसाधनों तक पहुंच मिलती। यूक्रेन में टाइटेनियम, लिथियम और अन्य दुर्लभ खनिजों के भंडार हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रक्षा उद्योग और क्लीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। अमेरिकी आंतरिक विभाग ने 50 खनिजों को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना है, और यूक्रेन के पास इनमें से 20 से अधिक खनिजों के भंडार हैं।

ट्रंप प्रशासन ने शुरू में यूक्रेन से मांग की थी कि वह अपनी खनिज संपदा का उपयोग सैन्य सहायता के लिए 500 बिलियन डॉलर चुकाने के लिए करे। हालांकि, बाद में इस मांग को नरम कर दिया गया और एक संयुक्त निवेश कोष की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया। इस कोष में यूक्रेन को अपनी खनिज संपदा, तेल और प्राकृतिक गैस से होने वाले राजस्व का 50% योगदान देना था। लेकिन यूक्रेन की मांग थी कि इस सौदे में उसकी सुरक्षा गारंटी शामिल हो, जो अमेरिका ने नहीं मानी।

क्या जेलेंस्की को चुकानी पड़ेगी भारी कीमत?

रूस के साथ युद्ध में फंसे यूक्रेन के लिए अमेरिका के साथ संबंधों में तनाव एक बड़ी चुनौती हो सकती है। अमेरिका ने अब तक यूक्रेन को रूस के खिलाफ युद्ध में भारी सैन्य सहायता प्रदान की है। लेकिन अगर अमेरिका यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता रोक देता है, तो यूक्रेन के लिए यह एक बड़ा झटका होगा। साथ ही, अमेरिका यूक्रेन के नाटो में शामिल होने के रास्ते को भी बंद कर सकता है।

इसके अलावा, अगर यूक्रेन को अमेरिकी हथियारों का भुगतान करना पड़ता है, तो यह उसकी अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बोझ होगा। ट्रंप ने पहले ही जेलेंस्की पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि वे अमेरिका द्वारा दी गई सैन्य सहायता का भुगतान करें। ऐसे में, जेलेंस्की के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी कि वे कैसे यूक्रेन के हितों को बचाते हुए अमेरिका के साथ संबंधों को सुधारते हैं।

निष्कर्ष

व्हाइट हाउस में हुई यह घटना अमेरिका और यूक्रेन के बीच संबंधों में एक नया मोड़ ला सकती है। जेलेंस्की के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी कि वे कैसे यूक्रेन के हितों को बचाते हुए अमेरिका के साथ संबंधों को सुधारते हैं। वहीं, ट्रंप के लिए यह स्पष्ट है कि वे यूक्रेन की खनिज संपदा तक पहुंच को प्राथमिकता दे रहे हैं। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच संबंध किस दिशा में बढ़ते हैं।

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Author: ainewsworld

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