उपराष्ट्रपति आज जयपुर में, राजस्थान पत्रिका के संस्थापक स्वर्गीय कर्पूर चन्द कुलिश जी की स्मृति में कोठरी परिवार द्वारा स्थापित ‘द कुलिश स्कूल’ के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित छात्रों, उनके अभिभावकों, शिक्षकों और अन्य गणमान्य अतिथियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि शिक्षा समाज में बदलाव का सबसे प्रभावी माध्यम है। हर क्षेत्र में वही लोग नेतृत्व कर रहे हैं जिन्होंने शिक्षा में भी अपना स्थान बनाया। इस संदर्भ में उन्होंने अपने जीवन में अपने सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ के संस्कारों और अनुभवों के महत्व को याद करते हुए कहा कि “मेरा असली जन्म तो सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में ही हुआ।”
उपराष्ट्रपति ने जोर दिया कि हर बच्चे को उसकी रुचि के अनुरूप अपनी प्रतिभा को अभिव्यक्त करने के पर्याप्त अवसर मिलने चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में हमारी पांच हजार साल पुरानी संस्कृति में शिक्षा के महत्व पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस संदर्भ में उन्होंने संविधान की मूलप्रति जिस पर संविधान सभा के सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे, उस पर अंकित चित्रों का जिक्र किया। संविधान की मूलप्रति के भाग 2 के पृष्ठ पर गुरुकुल का चित्र बना है तो भाग 4 वाले पृष्ठ पर कुरुक्षेत्र में श्री कृष्ण द्वारा गीता उपदेश का प्रसंग अंकित है। उन्होंने कहा ये चित्र, संविधान सभा द्वारा शिक्षा को दिए गए महत्व को दर्शाते हैं।