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स्वास्थ्य कानून, समाज और राजनीतिक अर्थव्यवस्था की परस्पर क्रिया पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी’ आयोजित

सेंटर फॉर ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट लॉ (सीटीआईएल), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के भारतीय विदेश व्यापार संस्थान द्वारा जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल (जेजीएलएस) के सेंटर फॉर जस्टिस, लॉ एंड सोसाइटी (सीजेएलएस) के सहयोग से राजनीतिक परिदृश्य में स्वास्थ्य गवर्नेंस: स्वास्थ्य कानून, समाज और राजनीतिक अर्थव्यवस्था की परस्पर क्रिया विषय पर संगोष्ठी आयोजित  की गई।

संगोष्ठी में उद्घाटन भाषण डॉ. वी. के. पॉल, सदस्य, नीति आयोग ने दिया। उन्‍होंने चिकित्सा तक पहुंच और स्वास्थ्य के अधिकार के महत्व पर प्रकाश डाला गया और कोविड-19 महामारी में नीति कार्यान्वयन के लिए अपने अनुभव साझा किए। डॉ. पॉल ने कोविड-19 महामारी के दौरान विकासशील देशों को वैक्सीन आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत के नेतृत्व का उदाहरण देते हुए नीति निर्माण, विशेष रूप से स्वास्थ्य नीति में प्रेरक नेतृत्व की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. पॉल ने इस बात पर भी चर्चा की कि कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य संबंधी आपातकालीन उपायों को लागू करने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 को लागू करके भारत के महामारी रोग अधिनियम, 1897 की कमियों को कैसे दूर किया गया। ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुलपति और डीन, जेजीएलएस प्रोफेसर सी. राज कुमार ने प्रोफेसर जेम्स जे. नेदुमपारा, हेड एंड प्रोफेसर, सीटीआईएल तथा प्रोफेसर दीपिका जैन, प्रोफेसर, जेजीएलएस और निदेशक, सीजेएलएस के स्वागत भाषण के साथ उद्घाटन भाषण दिया।

उच्‍चतम न्‍यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री रवींद्र भट ने “आर्थिक नीतियां, ट्रिप्स और हेल्थकेयर: पहुंच के लिए सहयोग” विषय पर पूर्ण सत्र 1 की अध्यक्षता की। श्री न्यायमूर्ति भट ने फार्मास्युटिकल पेटेंट विवादों में निषेधाज्ञा देने के लिए एक आधार के रूप में सार्वजनिक हित के महत्व पर प्रकाश डाला। न्‍यायमूर्ति श्री भट ने स्वास्थ्य तक पहुंच और बौद्धिक संपदा अधिकार कानूनों के साथ व्यापक भाषा में इसके प्रतिच्छेदन और स्वास्थ्य, व्यापार तथा दवाओं तक पहुंच के बीच अंतर्संबंध पर फोकस किया जो आर्थिक और सार्वजनिक अधिकारों को संतुलित करते हैं। पैनलिस्टों ने सभी के लिए दवाओं की सस्ती पहुंच को बढ़ावा देने के लिए नवाचारी नीति समाधान और सरकार, दवा कंपनियों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

“इंक एंड इनसाइट: लिविंग द स्कॉलरली लाइफ थ्रू थॉट, रिसर्च एंड पब्लिकेशन” विषय पर दूसरा पूर्ण सत्र सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति, विशेष रूप से साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण को आकार देने में अनुसंधान और प्रकाशन की भूमिका पर केंद्रित था। पैनलिस्टों ने स्वास्थ्य नीति निर्माण में आर्थिक हितों के प्रभाव और हितों के टकराव पर प्रकाश डाला तथा नीति निर्माण में पारदर्शिता के महत्त्व पर बल दिया।

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Author: ainewsworld

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