सीएसआईआर- राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपीआर) ने आज नयी दिल्ली में ‘‘भारत में श्री अन्न (मोटा अनाज) के जरिये पोषण सुरक्षा और सतत् स्वास्थ्य को बढ़ानाः एक नीतिगत परिप्रेक्ष्य’’ नामक परियोजना के तहत एक एतिहासिक विशेषज्ञ समीक्षा बैठक का आयोजन किया। कार्यक्रम में भारत में श्री अन्न की समूची मूल्य श्रृंखला के विकास पर चर्चा के लिये श्री अन्न उद्योग, शोधकर्ता और नीतिगत क्षेत्र के जाने माने विशेषज्ञ जुटे।
सत्र की शुरूआत सीएसआईआर- एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक डा. नरेश कुमार के स्वागत संबोधन के साथ हुई, जिसके बाद ’’भारत में श्री अन्न मूल्य श्रृंखला के विकास: परिपेक्ष्य और आगे का मार्ग’’ पर आईसीएआर – भारतीय श्री अन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के प्रधान वैज्ञानिक डा. दयाकर राव बी, ने विचारोत्तेजक मुख्य भाषण दिया।
डा. दयाकर राव ने वर्ष 1950 के बाद से श्री अन्न की खेती में 60 प्रतिशत गिरावट पर गौर करते हुये भारत में चल रहे इस चिंताजनक रूझान पर प्रकाश डाला। नीति की कमी और बाजार संचालित मांग के कारण आई यह गिरावट, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में श्री अन्न क्रांति की आवश्यकता को रेखांकित करती है। छह दशक तक उपेक्षित रहने के परिणामस्वरूप श्री अन्न आपूर्ति श्रृंखला में असंतुलन पैदा हुआ, जो कि असंगठित कार्यकलापों और किसानों की बेरूखी को दर्शाता है। इस मुद्दे का समाधान करने, श्री अन्न के महत्व को बताने के लिये सुविचारित प्रयासों और मांग -आपूर्ति दोनों को बढ़ाने की आवश्यकता है।
विशेषज्ञ इनपुट अनुभाग में आईसीएआर – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में कृषि अर्थशास्त्र विभाग की प्रधान वैज्ञानिक और प्रतिष्ठित प्रोफेसर डा. अल्का सिंह विशिष्ट वक्ता रहीं। डा. अल्का ने हरित क्रांति से पहले और उसके बाद हमारी खानपान आदतों में आये उल्लेखनीय बदलावों के बारे में बताया जब हमारे माता-पिता मुख्य रूप से मोटे अनाज से बनी रोटियां खाते थे। यह परंपरागत प्रथायें जो कि हमारी खाद्य प्रणाली में गहरे से शामिल थी समय के साथ खान पान में आये बदलाव के साथ बदलती चली गईं। इन फसलों से जुड़े फायदों के बारे में किसानों और बच्चों में जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुछ मोटे अनाज क्षेत्रीय स्तर पर ही उगाये जाते हैं और देशभर में उनकी लोकप्रियता नहीं बन पाई है।
सीएसआईआर – एनआईएससीपीआर के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डा. मोहम्मद रईस ने पैनल चर्चा की अध्यक्षता करते हुये कहा, ‘‘एनआईएससीपीआर में हमारा ध्यान परंपरागत फसलों से आगे गया। श्री अन्न के क्षेत्र में समन्वित प्रयासों को बढ़ाने और नीति बनाने के लिये मैं एक श्री अन्न समर्पित बोर्ड स्थापित किये जाने का प्रस्ताव करता हूं। श्री अन्न यानी मोटे अनाजों की खपत को बढ़ावा देना अति महत्वपूर्ण है और यह भी महत्वपूर्ण है कि लोगों को इस विषय पर विशेषज्ञों के नेतृत्व में शिक्षा प्राप्त हो।’’