सहयोग और समन्वित प्रयासों के माध्यम से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) और आयुष मंत्रालय मिलकर पारंपरिक ज्ञान का लाभ उठाने, संयुक्त योग प्रोटोकॉल के माध्यम से कल्याण को बढ़ावा देने और स्थानीय रूप से उगाए गए पौष्टिक खाद्य पदार्थों की खपत के माध्यम से आहार विविधता को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहे हैं।
इस सहयोग को और मजबूत करने के लिए, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास और अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानी और केंद्रीय आयुष और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में कल (26 फरवरी 2024) विज्ञान भवन में एक राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
आयोजन के दौरान, 5 उत्कर्ष जिलों में किशोरियों की पोषण स्थिति में सुधार लाने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और आयुष मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
यह एकीकरण महिलाओं और बच्चों के बीच समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों और तकनीकों को शामिल करते हुए आयुर्वेद जैसी पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों की ताकत का उपयोग करना चाहता है।
पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं में निहित पोषण समाधान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 (पोषण 2.0) का एक महत्वपूर्ण घटक हैं। इस कार्यक्रम के तहत कई प्रयास और रणनीतियाँ प्रमुख मंत्रालयों और विभागों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ सहयोग करते हुए बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण के माध्यम से कुपोषण से निपटने का प्रयास करती हैं। स्टंटिंग, वेस्टिंग, एनीमिया और जन्म के समय कम वजन से जुड़ी कमियों को कम करने के लिए, पोषण 2.0 का सामान्य केंद्र आयुष के माध्यम से कल्याण पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसका उद्देश्य न केवल कुपोषण की कमी को दूर करना है, बल्कि मातृ पोषण, शिशु और छोटे बच्चे के आहार मानदंडों और एमएएम/एसएएम बच्चों के उपचार पर भी ध्यान केंद्रित करना है। पोषण माह और पोषण पखवाड़ा जैसे राष्ट्रीय सामुदायिक आयोजनों के अंतर्गत व्यवहार परिवर्तन संचार के लिए महत्वपूर्ण गतिविधियाँ भी आयोजित की जाती हैं।