भारत सरकार किसानों के कल्याण के लिये उत्पादन बढ़ाने, लाभकारी प्रतिफल और आय समर्थन देने की कई योजनाओं/कार्यक्रमों को चला रही है। इनके बारे में विस्तृत जानकारी नीचे दी गई है।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) का लक्ष्य क्षेत्र के विस्तार और उत्पादकता बढ़ाने, मिट्टी की उर्वरा शक्ति और उत्पादकता बहाल करने, और खेती के स्तर पर अर्थव्यवस्था का विस्तार करते हुये चावल, गेहूं और दलहनों का उत्पादन बढ़ाना है।
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) किसानों के प्रयासों को मजबूती देने, फसल कटाई से पहले और बाद की बुनियादी सुविधाओं पर अधिक ध्यान देते हुये जोखिम में कमी लाने के साथ खेती बाड़ी को एक लाभकारी आर्थिक गतिविधि बनाने के व्यापक उद्देश्य से शुरू की गई योजना है। योजना में प्रति बूंद अधिक फसल, कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन, मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता, कृषि विकास योजना में परमपराग, वर्षासिंचित क्षेत्र विकास और फसल विविधीकरण कार्यक्रम जैसे उप-घटक भी शामिल हैं।
- राष्ट्रीय खाद्य तेल- तेल पाॅम मिशन (एनएमईओ- ओपी), भारत सरकार ने देश को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने के लिये उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और अंडमान- नीकोबार द्वीप पर विशेष ध्यान देते हुये तेल पाॅम की खेती को बढ़ावा देने के लिये शुरू किया। मिशन का लक्ष्य अगले पांच वर्ष 2021-22 से 2025- 26 के दौरान 3.28 लाख हेक्टेयर उत्तर-पूर्वी राज्यों और शेष भारत में 3.22 लाख हेक्टेयर सहित कुल 6.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को पाॅम तेल खेती के तहत लाना है।
- प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान)ः इस योजना का मकसद देशभर में सभी भूमिधारी किसान परिवारों को, तय मानदंडों के तहत कुछ को छोड़कर, वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है, ताकि वह कृषि और संबंधित गतिविधियों के साथ ही घरेलू जरूरत के खर्च उठाने में सक्षम बन सके। योजना के तहत प्रत्येक चार-माह में जारी की जाने वाली 2,000/- रूपये की तीन किस्तों में कुल 6,000/- रूपये सीधे किसानों के बैंक खातों में स्थानांतरित किये जाते हैं। इसमें अब तक 11 करोड़ से अधिक किसानों को 2.81 लाख करोड़ रूपये का लाभ पहुंचाया जा चुका है।
- प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)ः किसानों को उनकी फसल के लिये सभी गैर-रोधक प्राकृतिक जोखिमों के समक्ष बुवाई के पहले से लेकर फसल कटाई तक की अवधि के लिये एक सरल और किफायती व्यापक जोखिम कवर देने वाला फसल बीमा उपलब्ध कराने के लिये 2016 में इस योजना की शुरूआत की गई जिसमें किसानों को पर्याप्त दावा राशि प्राप्त हो। वर्ष 2022-23 के दौरान पीएमएफबीवाई के तहत 1174.7 लाख किसानों के आवेदन दर्ज किये गये और आवंटित राशि 15,500 करोड़ रूपये रही।
- प्रधान मंत्री किसान मान धन योजना (पीएम – केएमवाई)ः प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना एक केन्द्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे बहुत कमजोर किसान परिवारों को सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये 12 सितंबर 2019 को शुरू किया गया। पीएम-केएमवाई अंशदान से जुड़ी योजना है, जिसमें निष्कासन मानदंडों के तहत कुछ को छोड़कर, कोई भी छोटे और सीमांत किसान पेंशन कोष में मासिक अंशदान कर सदस्य बन सकते हैं। इतनी ही राशि का भुगतान केन्द्र सरकार भी करेगी। अब तक कुल 23.38 लाख किसानों ने योजना को अपनाया है।
- कृषि क्षेत्र को दिया जाने वाला संस्थागत कर्ज वर्ष 2013- 14 में 7.3 लाख करोड़ रूपये से बढ़कर 2023- 24 में 20 लाख करोड़ रूपये तक पहुंच गया। पशुपालन और मछली पालक किसानों को भी उनकी अल्पकालिक कार्यशील पूंजीगत जरूरतों को पूरा करने के लिये अब किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पर 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर का रियायती संस्थागत रिण लाभ उपलब्ध कराया जा रहा है। पीएम- किसान के सभी लाभार्थियों को शामिल करने पर ध्यान देते हुये फरवरी 2020 से एक विशेष अभियान शुरू किया गया है जिसमें किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये रियायती संस्थागत रिण उपलब्ध कराया जा रहा है। अभियान के तहत 05.01.2024 की स्थिति के अनुसार 5,69,974 करोड़ रूपये की मंजूर रिण सीमा के साथ 465.42 लाख नये केसीसी आवेदनों को मंजूरी दी गई है।
- खेतीबाड़ी के काम में कड़ी मेहनत को हल्का करने और कृषि के आधुनिकीकरण के लिये कृषि कार्यों का यंत्रीकरण बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। वर्ष 2014- 15 से दिसंबर 2023 तक की अवधि में कृषि यंत्रीकरण के लिये 6405.55 करोड़ रूपये आवंटित किये गये। किसानों को सब्सिडी पर 15,23,650 मशीनें और उपकरण उपलब्ध कराये गये।
- कृषि अवसंरचना कोष: देश में कृषि बुनियादी ढांचा सुविधाओं में सुधार के लिये प्रोत्साहनों और वित्तीय समर्थन के माध्यम से फसल कटाई बाद प्रबंधन के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों की व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिये मध्यम- दीर्घकालिक रिण वित्तपोषण सुविधा खड़ी करने के उद्देश्य से एक लाख करोड़ रूपये की कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) योजना की शुरूआत की गई।
- 10,000 कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धनः भारत सरकार ने 2020 में 10,000 किसान उत्पादक संगठन बनाने और उनके संवर्धन के लिये केन्द्रीय क्षेत्र योजना (सीएसएस) शुरू की थी। एफपीओ का गठन और संवर्धन क्रियान्वयन एजेंसियों (आईए) के जरिये किया जायेगा जो नियमित आधार पर संबंधित एफपीओ के लिये बेहतर विपणन अवसरों और बाजार संपर्कों को सुनिश्चित करते हुये व्यवसाय योजना तैयार करने और उसे अमल में लाने सहित पांच साल की अवधि तक एफपीओ को पेशेवर तौर पर सहारा और समर्थन देने के लिये शंकुल आधारित व्यवसायिक संगठनों को अपने साथ जोड़ेगे। बहरहाल, 31.12.2023 तक नई एफपीओ योजना के तहत 7,774 संख्या में एफपीओ पंजीकृत हो चुके हैं। इनमें 2,933 एफपीओ को 129.5 करोड़ रूपये का इक्विटी अनुदान जारी किया जा चुका है वहीं 994 एफपीओ को 226.7 करोड़ रूपये का रिण गारंटी कवर भी जारी किया गया।
- नमो ड्रोन दीदीः सरकार ने 2024- 25 से 2025- 26 की अवधि के लिये 1261 करोड़ रूपये के परिव्यय के साथ महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के लिये ड्रोन उपलब्ध कराने की केन्द्रीय क्षेत्र योजना को हाल में मंजूरी दी है। योजना का लक्ष्य चयनित 14,500 महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराना है जिन्हें वह कृषि कार्यों (उर्वरक और कीटनाशक छिड़काव) के लिये किसानों को किराये पर सेवायें उपलब्ध करा सकेंगे।
- कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए) के माध्यम से देश में विकेन्द्रीकृत किसान अनुकूल विस्तार प्रणाली को बढ़ावा दिया जा रहा है। एटीएमए योजना का उद्देश्य राज्य सरकारों के प्रयासों को समर्थन देना और विविध विस्तार गतिविधियों जैसे कि किसानों को प्रशिक्षण, प्रदर्शन, ज्ञान यात्राओं, किसान मेलों, किसान समूह जुटाने और कृषि स्कूलों का आयोजन आदि के माध्यम से किसानों को कृषि और संबंधित क्षेत्रों के विविध विषयगत क्षेत्रों में बेहतर कृषि व्यवहारों और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराना है। वर्ष 2014 से 2023 (31 दिसंबर 2023) तक विस्तार गतिविधियों को चलाने के लिये ‘एमएएनएजीई (मैनेज)’ सहित राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को 5,189.08 करोड़ रूपये (केन्द्रीय हिस्सा) जारी किये जा चुके हैं और योजना के तहत विभिन्न विस्तार गतिविधियों से 3,66,10,873 किसानों को लाभ पहुंचा है।
वित्त वर्ष 2013- 14 में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का बजट परिव्यय 27,662.67 करोड़ रूपये था। 2023-24 के बजट अनुमान में यह पांच गुणा से अधिक बढ़कर 1,25,035.79 करोड़ रूपये हो गया। परिणामस्वरूप पिछले सात साल के दौरान कृषि और संबंधित क्षेत्र के सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में प्रति वर्ष 4.4 प्रतिशत दर से वृद्धि हो रही है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने कृषि वर्ष जुलाई 2018 – जून 2019 का संदर्भ रखते हुये देश के ग्रामीण क्षेत्रों में एनएसएस के 77वें दौर (जनवरी 2019- दिसंबर 2019) के दौरान कृषि परिवारों का एक स्थिति आकलन सर्वे (एसएएस) किया। इसी तरह का एक सर्वे एनएसएस के 70वें दौर (जनवरी 2013 – दिसंबर 2013) के दौरान कृषि वर्ष जुलाई 2012- जून 2013 के संदर्भ के साथ एनएसएसओ ने किया। स्थिति आकलन सर्वेक्षण परिणाम के अनुसार खेती करने वाले प्रत्येक परिवार की औसत मासिक आय 2012- 13 के 6,426 रूपये से बढ़कर 2018-19 में 10,218 रूपये हो गई।
वर्ष 2019-20 से 2023-24 के दौरान विभिन्न अनाजों की अनुमानित उत्पादन लागत का विवरण नीचे तालिका में दिया गया है।
भारत सरकार, राज्य सरकारों, केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों, अन्य हितधारकों और अन्य संबंधित के विचारों पर मंथन करने के बाद कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश के आधार पर 22 अनिवार्य फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करती है। सीएसीपी, एमएसपी सिफारिश से पहले अनेक महत्वपूर्ण कारकों जैसे कि भूमि, पानी और अन्य उत्पादन संसाधनों का तर्कसंगत उपयोग सुनिश्चित करने के साथ ही सकल मांग-आपूर्ति स्थिति, उत्पादन लागत, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मूल्य, अंतर-फसल मूल्य समानता, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र के बीच व्यापार शर्तो, शेष अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव पर विचार करता है।
राष्ट्रीय किसान आयोग (एनसीएफ) का नवंबर 2004 में प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में गठन किया गया। आयोग को अन्य बातों के साथ खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिये मध्यम-अवधि रणनीति, उत्पादकता बढ़ाने, लाभप्रदता और वहनीयता, ग्रामीण रिण प्रवाह के लिये नीति सुधार, कृषि जिंसों की लागत प्रतिस्पर्धात्मकता जैसे विभिन्न मुद्दों की जांच-पड़ताल करने का काम दिया गया। आयोग ने 2006 में अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी। आयोग ने किसानों के लिये राष्ट्रीय नीति का मसौदा भी तैयार किया जिसे बाद में सरकार ने राष्ट्रीय किसान नीति (एनपीएफ), 2007 के रूप में मंजूरी दी। हालांकि, एनसीएफ की कृषि मूल्य नीति से जुड़ी एक सिफारिश – न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उत्पादन की भारित औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक होना चाहिये — एनपीएफ में शामिल नहीं थी।
मूल्य नीति पर एनसीएफ की महत्वपूर्ण सिफारिशों में एक को मान्यता देते हुये सरकार ने 2018- 19 के केन्द्रीय बजट में पूर्व-निर्धारित सिद्धांत के तौर पर एमएसपी को उत्पादन लागत के डेढ़ गुणा स्तर पर रखने की घोषणा की। इसके बाद, 2018-19 से हर वर्ष सभी अनिवार्य खरीफ, रबी और अन्य नकदी फसलों के लिये एमएसपी को उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत के उपर कम से कम 50 प्रतिशत प्रतिफल के साथ तय किया गया।
खाद्यान्न की सरकारी खरीद 2014-15 में 761.40 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2022-23 में 1062.69 लाख मीट्रिक टन पर पहुंच गई जिसका लाभ 1.6 करोड़ किसानों को मिला। इसी अवधि के दौरान खाद्यान्नों की खरीद (एमएसपी मूल्य पर) होने वाला व्यय 1.06 लाख करोड़ रूपये से बढ़कर 2.28 लाख करोड़ रूपये तक पहुंच गया।