स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव श्री संजय कुमार; उच्च शिक्षा, शिक्षा मंत्रालय के सचिव श्री के. संजय मूर्ति; और एमडी-सीईओ, सीएससी एसपीवी श्री संजय राकेश ने संयुक्त रूप से आज देश के दूरदराज के गांवों में कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से एपीएआर (स्वचालित स्थायी शैक्षणिक खाता रजिस्ट्री) लॉन्च किया। एपीएएआर का उद्देश्य ‘एक राष्ट्र, एक छात्र आईडी’ है। एपीएआर की संकल्पना राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के तहत की गई है, जिसमें सभी कॉलेज/विश्वविद्यालय जाने वाले छात्रों को एबीसी, यानी अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट पर पंजीकरण करना आवश्यक है। नए नियम के मुताबिक किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के लिए एबीसी आईडी का होना जरूरी है।
सीएससी के माध्यम से योजना का शुभारंभ करते हुए श्री संजय कुमार ने कहा कि देश में डिजिटल सेवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है और सीएससी के माध्यम से स्कूली शिक्षा में डिजिटल सेवाओं का अधिकतम लाभ उठाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी स्कूली बच्चों को तत्काल अनंतिम एपीएएआर आईडी दी जानी चाहिए और इसे आधार से प्रमाणित किया जाना चाहिए और डिजी लॉकर से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्राम स्तरीय उद्यमियों (वीएलई) के लिए इस सेवा के लिए एक बिजनेस मॉडल पर भी विचार किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह प्रणाली स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा को अधिक पारदर्शी और आसान बनाएगी।
श्री के. संजय मूर्ति ने सरकार द्वारा शुरू किए गए नए प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों पर जोर दिया कि छात्रों के लाभ के लिए समर्थ, स्वयं और दीक्षा (स्कूल स्तर पर) का लाभ उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कई संस्थानों में ‘समर्थ’ लॉन्च किया जा रहा है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अगले 1.5 वर्षों में कम से कम 10,000 संस्थान इसमें शामिल हो जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि एपीएएआर और समर्थ में सीएससी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। श्री मूर्ति ने इस बात पर जोर दिया कि एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की स्थापना नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी (एनएडी) की तर्ज पर की गई है। इस तथ्य के बावजूद कि एबीसी छात्रों को पंजीकरण करने या क्रेडिट हस्तांतरण शुरू करने में सक्षम बनाता है, क्रेडिट रेडेम्पशन और प्रमाण पत्र जारी करने के साथ-साथ पुरस्कार रिकॉर्ड के संकलन के अंतिम परिणाम अकादमिक संस्थानों द्वारा प्रशासित होते हैं।
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष श्री अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि एपीएएआर आईडी जीवन भर बच्चों के पास रहेगी। उन्होंने बताया कि विद्यार्थी भविष्य में विभिन्न परीक्षाओं में उत्तीर्ण होकर क्रेडिट भी प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि छात्रों को कहीं भी प्रमाणपत्र देने की आवश्यकता नहीं होगी और सिर्फ एपीएएआर आईडी देना ही पर्याप्त होगा।
कार्यक्रम के दौरान अतिथियों का स्वागत करते हुए श्री संजय राकेश ने कहा कि एपीएएआर आईडी को लोकप्रिय बनाने की बहुत जरूरत है। उन्होंने बताया कि वीएलई स्कूलों में जाएंगे और छात्रों का नामांकन करेंगे और उन्हें एपीएएआर आईडी प्रदान करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक क्रांतिकारी पहल है जिसमें छात्रों के सभी रिकॉर्ड एक ही स्थान पर जोड़े जा सकेंगे। इससे अवैध गतिविधियों पर भी अंकुश लगेगा। ऐसे कई स्कूल हैं जिनके पास ऑनलाइन सेवाओं के लिए बुनियादी ढांचा नहीं है। उन्होंने कहा, इस संबंध में सीएससी वीएलई उनके लिए एक बड़ी मदद होंगे।
एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट क्या है?
एबीसी एक डिजिटल रिपॉजिटरी या डिजिटल स्टोरेज है। छात्र इसका लाभ आसानी से उठा सकते हैं। इस सेवा के लिए छात्र को कहीं और नहीं बल्कि नजदीकी सीएससी में जाने की जरूरत है। इस डिजिटल क्रेडिट बैंक में छात्रों के सभी क्रेडिट यानी अंक और उनकी सभी निजी जानकारी उपलब्ध होगी।
इस आईडी की मदद से सभी छात्रों को ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए एक संस्थान से दूसरे संस्थान में प्रवेश लेने में आसानी होगी। विश्वविद्यालय अब एबीसी आईडी की मदद से एक क्लिक पर छात्रों का सारा डेटा हासिल कर सकेंगे।
यह एक व्यक्तिगत छात्र द्वारा अपने सीखने के दौरान अर्जित क्रेडिट का भंडार है। यह भण्डार आभासी अथवा डिजिटल है। इसमें छात्र द्वारा किसी भी संस्थान में की गई सभी पढ़ाई, उसके प्रदर्शन और मुख्य रूप से छात्र द्वारा प्राप्त क्रेडिट के बारे में पूरी जानकारी होती है। वे अपनी पढ़ाई के दौरान कई स्थानों पर और कई तरीकों से उनका उपयोग कर सकते हैं। शिक्षा में एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट लाने का सुझाव एनईपी 2020 में दिया गया था।