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औषधियों  की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम

देश में औषधियों के विनिर्माण, बिक्री और वितरण को औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1945 और नियमों के अंतर्गत संबंधित राज्य सरकार द्वारा नियुक्त राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकारियों (एसएलए) को लाइसेंस की किसी भी शर्त के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई करने का अधिकार है।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश में औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित नियामक उपाय किए हैं:

  1. नकली और मिलावटी औषधियों  के निर्माण के लिए कड़े दंड का प्रावधान करने के लिए औषधि और प्रसाधन सामग्री (संशोधन) अधिनियम 2008 के अंतर्गत औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 में संशोधन किया गया था। कुछ अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती भी बनाया गया है।
  2. राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों ने औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के अंतर्गत  अपराधों के त्वरित निपटान हेतु विशेष अदालतें स्थापित की हैं।
  3. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ)में स्वीकृत पदों की संख्या 2008 में 111 से बढ़कर अब तक 931 हो गई है।
  4. औषधियों  की प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए, औषधि और प्रसाधन सामग्री  (ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स) नियम, 1945 में संशोधन किया गया है और यह प्रावधान किया गया है कि आवेदक को कुछ दवाओं के मौखिक खुराक के निर्माण लाइसेंस की स्वीकृति  के लिए आवेदन के साथ जैव-समतुल्यता अध्ययन (बायोइक्वीवैलेंस स्टडी)  का परिणाम प्रस्तुत करना होगा।
  5. औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 में संशोधन करके यह अनिवार्य कर दिया गया है कि विनिर्माण लाइसेंस देने से पहले, विनिर्माण प्रतिष्ठान का केंद्र सरकार और राज्य सरकार के औषधि निरीक्षकों द्वारा संयुक्त रूप से निरीक्षण किया जाएगा।
  6. औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 में संशोधन किया गया है, जिससे यह अनिवार्य हो गया है कि आवेदक प्राधिकरण द्वारा विनिर्माण लाइसेंस देने से पहले राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को स्थिरता, अन्य घटक पदार्थों (एक्सीसिएन्ट्स) की सुरक्षा आदि के प्रमाण प्रस्तुत करेंगे।
  7. सीडीएससीओ राज्य औषधि नियंत्रण संगठनों की गतिविधियों का समन्वय करता है और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के प्रशासन में एकरूपता के लिए राज्य औषधि नियंत्रकों के साथ आयोजित औषधि सलाहकार समिति (डीसीसी) की बैठकों के माध्यम से विशेषज्ञ सलाह प्रदान करता है।
  8. केंद्र सरकार ने जी.एस.आर. 922 (ई) दिनांक 28.12.2023 को अच्छे विनिर्माण प्रथाओं और फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए परिसर, संयंत्र और उपकरणों की आवश्यकताओं से संबंधित उक्त नियमों की अनुसूची एम को संशोधित करने के लिए के माध्यम से औषधि नियम 1945 में संशोधन किया है।
  9. औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और देश में औषधि  विनिर्माण परिसरों के नियामक अनुपालन का आकलन करने के लिए, सीडीएससीओ ने राज्य औषधि नियंत्रकों (एसडीसी) के साथ मिलकर 275 परिसरों का जोखिम-आधारित निरीक्षण किया है। फर्मों की पहचान जोखिम मानदंडों जैसे मानक गुणवत्ता की नहीं घोषित की गई दवाओं की संख्या, शिकायतें, उत्पादों की गंभीरता आदि के आधार पर की गई है । निरीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर कारण बताओ नोटिस जारी करना, उत्पादन आदेश रोकना, और निलंबन जैसी 250 से अधिक कार्रवाइयां की गईं। , लाइसेंस / उत्पाद लाइसेंस आदि को रद्द करने का निर्णय राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकारियों द्वारा औषधि नियम 1945 के प्रावधानों के अनुसार लिया गया है।

सीडीएससीओ, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 और इसके नियमों के प्रावधानों के अंतर्गत देश में औषधियों, चिकित्सा उपकरण और सौंदर्य प्रसाधनों की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता को नियंत्रित करता है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी है ।

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Author: ainewsworld

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